डनलप के गद्दों के बीच की स्थिति सा माणा या गंजी की अन्तिम सीमा पर देश की सीमा के साथ बाँधा गया भूभाग हो तुम या फिर समझौता की कोई एक्सप्रेस जिन्हें तय करते है देश के सत्ताधारी लोग फिर भी इस आधी रात को जब हीटर के तार सुलग रहे हैं और तब कैसे सुलगती है कविता सेंचुरी के पन्नों के भीतर रेनोल्ड्स की इस कलम से बेहतर शब्द निकाल लेने की जिद कहाँ तक जायज है
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आप इतिहास के एक मात्र व्यक्ति हैं जो अन्तिम सीमा तक सफल रहे धार्मीक स्तर पर भी और सांसारिक स्तर पर भी ” यह टिप्पणी एक इसाई वैज्ञानिक डा 0 माइकल एच हार्ट की है जिन्हों ने अपनी पुस्तक The 100 (एक सौ) में मानव इतिहास पर प्रभाव डालने वाले संसार के सौ अत्यंत महान विभूतियों का वर्णन करते हुए प्रथम स्थान पर जिस पहापुरूष को रखा है उन्हीं के सम्बन्ध में यह टिप्पणी लिखी है।
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और पाक है वह ख़ुदा जिसने च्यूंटी और मच्छर से ले कर उन से बड़ी मख़्लूक़ मछलियों और हाथियों तक के पैरों को मज़बूत व मुस्तहकम किया है और अपनी ज़ात पर लाज़िम कर लिया है कि कोई पैकर (आकार) कि जिस में उस ने रूह (आत्मा) दाख़िल की है, जुंबिश (कंपन) नही खायेगा मगर यह कि मौत को उसकी वअदागाह और फ़ना (नाश) को उस की हदे आख़िर (अन्तिम सीमा) क़रार देगा।
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धर्म का चरम लक्ष्य होता है संसार को हर प्रकार के ताप से मुक्त कर उसे अनन्त सुख की अन्तिम सीमा तक पहुँचाकर सदा के लिये आनन्दमय बना देना | जिस धर्म का लक्ष्य इतना पावन है, इतना विशाल है-उस धर्म में कट्टरवाद के लिये तो कोई स्थान रह ही नहीं जाता | फिर क्या कारण है कि आज मनुष्य मैं हिंदू हूँ, यह मुसलमान है, वह सिख है, वह ईसाई है-इस प्रकार के झगड़ों में पड़ा रहता है?
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सन्सार वालों को सब से ज़्यादा प्रभावित करने वाले व्यक्ति में मुहम्मद को प्रथम स्थान पर रखने के कारण बहुत सारे पढ़ने वाले लोगों को आश्चर्य हो सकता है और वह एक दुसरे से प्रश्न भी करेंगे परन्तु वह इतिहास में एक मात्र व्यक्ति हैं जो अन्तिम सीमा तक सफल रहे, धार्मिक और संसारिक दोनों स्तर पर और प्रोफेसर रामाकृष्णा राव अपनी पुस्तक “ इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ” में लिखते हैं कि ” पैग़म्बर मुहम्मद के व्यक्तित्व के सभी यथार्थताओं का जान लेना बड़ा ही कठिन काम है।
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सन्सार वालों को सब से ज़्यादा प्रभावित करने वाले व्यक्ति में मुहम्मद को प्रथम स्थान पर रखने के कारण बहुत सारे पढ़ने वाले लोगों को आश्चर्य हो सकता है और वह एक दुसरे से प्रश्न भी करेंगे परन्तु वह इतिहास में एक मात्र व्यक्ति हैं जो अन्तिम सीमा तक सफल रहे, धार्मिक और संसारिक दोनों स्तर पर और प्रोफेसर रामाकृष्णा राव अपनी पुस्तक ” इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ” में लिखते हैं कि ” पैग़म्बर मुहम्मद के व्यक्तित्व के सभी यथार्थताओं का जान लेना बड़ा ही कठिन काम है।