संसार को अपना घर, इंसानों को अपने परिवार का सदस्य समझ कर देखें और सोचें किसी परिवार में यह अव्यवस्था होगी तो उस परिवार के मुखिया पर क्या गुजरेगी, क्या वह अपने परिवार का अन्त करना चाहेगा, किसे सजा देगा, सभी तो अपने हैं, अपने परिवार के मुखिया को दुःख देने का हमें कोई हक नहीं है ।
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' ' कुछ ऐसे ही विचार हैं तृतीय पुरस्कार प्राप्त शेफाली बिष्ट, कक्षा 8, माउण्ट एल्बर्न स्कूल, नौकुचियाताल के, ‘‘ हमें जल्द से जल्द भ्रष्टाचार नाम के इस दानव का अन्त करना होगा वरना यह दानव हमारे पूरे समाज को निगल जायेगा … अभी हम बहुत छोटे हैं पर हमें छोटी सी कोशिश ही कर लेनी चाहिये।
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क्या हम इससे भी उच्चतर उद्देश्य और राजनीति से भी अधिक शक्तिशाली किसी लक्ष्य से प्रेरणा प्राप्त नहीं कर सकते? जैसे कि अपने वंचित बंधुओं के चेहरों पर मुस्कान लाना, किसानों की उस व्यथा का अन्त करना जिसके कारण हजारों किसानों को आत्महत्या करने पर बाध्य होना पड़ा, उस कुपोषण को समाप्त करना जिसकी वजह से हजारों जनजाति बच्चे मर रहे हैं, हमारे प्रतिभाशाली युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।
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क्या हम इससे भी उच्चतर उद्देश्य और राजनीति से भी अधिक शक्तिशाली किसी लक्ष्य से प्रेरणा प्राप्त नहीं कर सकते? जैसे कि अपने वंचित बंधुओं के चेहरों पर मुस्कान लाना, किसानों की उस व्यथा का अन्त करना जिसके कारण हजारों किसानों को आत्महत्या करने पर बाध्य होना पड़ा, उस कुपोषण को समाप्त करना जिसकी वजह से हजारों जनजाति बच्चे मर रहे हैं, हमारे प्रतिभाशाली युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।
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अगर और लोग कुछ नहीं करेंगे तो हम युवा पीढ़ी को ही भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी पड़ेगी। ' ' कुछ ऐसे ही विचार हैं तृतीय पुरस्कार प्राप्त शेफाली बिष्ट, कक्षा 8, माउण्ट एल्बर्न स्कूल, नौकुचियाताल के, “हमें जल्द से जल्द भ्रष्टाचार नाम के इस दानव का अन्त करना होगा वरना यह दानव हमारे पूरे समाज को निगल जायेगा…अभी हम बहुत छोटे हैं पर हमें छोटी सी कोशिश ही कर लेनी चाहिये।” द्वितीय पुरस्कार प्राप्त प्रणव पन्त, कक्षा 9, लेक्स इण्टर नेशनल स्कूल, भीमताल लिखते हैं,