जब जीरो दिया भारत ने … भारत ने मेरे भारत ने … दुनिया को तब गिनती आई … तारो की भाषा भारत ने … भारत ने मेरे भारत ने … दुनिया को पहले सिखलाई … देता न दशमलव भारत तो यु चाँद पर जाना मुश्किल था … धरती और चाँद की दूरी का अन्दाजा लगाना मुश्किल था … सभ्यता जहाँ पहले आई … पहले जन्मी है जहाँ पर कला … अपना भारत वो भारत है … जिसके पीछे संसार चला … संसार चला और आगे बढा।
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दान लेने वाले कर्मचारियों ने समझदारी (?) दिखाते हुए किसी भी आभूषण की रसीद पर उसका वजन अंकित नहीं किया है, ऐसे में अन्दाजा लगाना भी मुश्किल है कि वह आभूषण १०० ग्राम का था या १० ग्राम का? ऑडिट दल को सन्देह है कि वजन नहीं लिखने के पीछे कारण यह है कि बाद में दूसरे हल्के कम वजन के आभूषणों को उसकी जगह रखा जा सके, बिछिया, नाग, छत्र, चाँदी के पाट और न जाने क्या-क्या, किसी भी रसीद पर वजन अंकित नहीं है ।
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दान लेने वाले कर्मचारियों ने समझदारी (?) दिखाते हुए किसी भी आभूषण की रसीद पर उसका वजन अंकित नहीं किया है, ऐसे में अन्दाजा लगाना भी मुश्किल है कि वह आभूषण १ ०० ग्राम का था या १ ० ग्राम का? ऑडिट दल को सन्देह है कि वजन नहीं लिखने के पीछे कारण यह है कि बाद में दूसरे हल्के कम वजन के आभूषणों को उसकी जगह रखा जा सके, बिछिया, नाग, छत्र, चाँदी के पाट और न जाने क्या-क्या, किसी भी रसीद पर वजन अंकित नहीं है ।