बुखार में हुई ऐसी सामान्य बात को देख अपने या किसी दूसरे बच्चे पर अपस्मार का लेबल ना लगायें।
42.
त्रास, मोह, जुगुत्सा, दैन्य, संकट, अपस्मार, चिन्ता, आवेग इत्यादि उसके व्यभिचारी भाव हैं।
43.
उन्माद ऋतु दोष, वीर्य रोग, मूर्च्छा व अपस्मार को नष्ट करता है और बच्चों के तोतलेपन व मंदबुद्धि में लाभकारी।
44.
हीरे का 6 पहल का नगीना बनाकर अंगूठी में जड़ा धारण करने से अपस्मार (मिर्गी) दूर होती है।
45.
अपस्मार या मिर्गी (वैकल्पिक वर्तनी: मिरगी, अंग्रेजी: Epilepsy) एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है।
46.
उन्माद ऋतु दोष, वीर्य रोग, मूर्च्छा व अपस्मार को नष्ट करता है और बच्चों के तोतलेपन व मंद बुद्धि में लाभकारी।
47.
मिर्गी या अपस्मार, उन्माद, विक्षेप, अत्यधिक सिर दर्द, अनियंत्रित क्रोध आदि विकारों पर अच्छा प्रभाव डालता है ।
48.
उन्माद व अपस्मार में इसका स्वरस 20 ग्राम के लगभग मधु के साथ दिन में दो बार दिया जाता है ।
49.
ऐसा अपस्मार या मिरगी (epilepsy), हिस्टीरिया, (neurasthenia), अर्धकपाली (migraine), उन्माद, मनोविक्षिप्ति (psychosis), सविषाद इत्यादि रोगों में विशेष रूप में देखा गया है।
50.
सुश्रुत संहिता के अनुसार ब्राह्मी का उपयोग मस्तिष्क विकृति, नाड़ी दौर्बल्य, अपस्मार, उन्माद एवं स्मृति नाश में लाभकारी है।