अप्रासंगिक जानकारी, ज्यामितीय डिजाइन, गणितीय गणना, खगोलीय संरेखण की अपाठ्य अव्यवस्था एक झूठी ठोस वस्तुओं, बजाय अमर आत्माओं के आधार पर आध्यात्मिकता का हिस्सा हैं, क्रम में भ्रमित करने के लिए और पृथ्वी पर है
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हमारे यहाँ या तो सामाजिक-राजनीतिक, गुरु-गंभीर, उत्तर-आधुनिक, जादुई यथार्थ के उपन्यास हैं जिनमें से अधिकांश अपाठ्य या बोगस हैं या फिर फ़ुटपाथ या रेल्वे स्टालों पर बिकनेवाले लोकप्रिय किन्तु नितांत विकलमस्तिष्क क़िस्से.
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क्या यह सही नहीं है कि कई लोगों के लिये कबीर अपाठ्य लगते होंगे या फरीद या नानक? नानक को केदारनाथ सिंह जी ने पढ़ा है क्या? पढ़ा है तो कुछ लिखा भी है क्या?
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यानी ये ऐसी कविताएं हैं जिन्हें कवि ही लिखते हैं और कवि ही उनके पाठक होते हैं।.....कवि और आलोचकों का एक अन्य तबका ऐसा है जो कविता को गूढ़,अबूझ, अपाठ्य,असहज और अगेय बनाने की वकालत करता है।
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जिन दोस्तों ने साथ जीने-मरने की क़समें खाई थीं एक दिन वे ही हो जाते हैं लापता और फिर कभी नहीं लौटते, धीरे-धीरे धूसर और अपाठ्य हो जाती हैं उनकी अनगढ़ कविताएँ और दुःख, उनके चेहरे भी ठीक-ठीक याद नहीं रहते।
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यानी ये ऐसी कविताएं हैं जिन्हें कवि ही लिखते हैं और कवि ही उनके पाठक होते हैं।..... कवि और आलोचकों का एक अन्य तबका ऐसा है जो कविता को गूढ़, अबूझ, अपाठ्य, असहज और अगेय बनाने की वकालत करता है।
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बहुत दार्शनिक या वैचारिक ढंग के साथ बहुत भाषा या बहुत कम भाषा लेकर, इन कविताओं पर समालोचनानुमा कुछ करने में इनकी मूल संवेदना और सौंदर्य की प्रखरता और सत्य के आगे समालोचकीय कर्म के अपाठ्य होकर नष्ट हो जाने का संकट है।
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उन्हें मैं कतई उल्लेखनीय लेखक नहीं मानता था और हाल ही में जब उनकी एक प्रेत-प्रेम कथा में यह पढ़ा कि अर्नेस्ट हेमिंग्वे के उपन्यास 1909 में आना शुरू हो चुके थे तो मेरी यह बदगुमानी पुख्ता हो गयी कि वे मात्र अपाठ्य नहीं, अपढ़ भी हैं।
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हालांकि आसान नहीं के रूप में हाजिर करने के लिए, उत्साह की लहर है कि तुम पर दस्तक देता है जब आप एक छोटे से बौना कुंजी एक कोरल पंखे से चिपक लगभग अपाठ्य देखने को देखने के लिए अतिरिक्त समय देने लायक कुछ है.
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उन्हें मैं कतई उल्लेखनीय लेखक नहीं मानता था और हाल ही में जब उनकी एक प्रेत-प्रेम कथा में यह पढ़ा कि अर्नेस्ट हेमिंग्वे के उपन्यास 1909 में आना शुरू हो चुके थे तो मेरी यह बदगुमानी पुख्ता हो गयी कि वे मात्र अपाठ्य नहीं, अपढ़ भी हैं।