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अपादान उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
41.इन दो वाक्यों में ‘स्वास्थ्य के लिए ' और ‘गुरुजी को' संप्रदान कारक हैं।5. अपादान कारकसंज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होना पाया जाए वह अपादान कारक कहलाता है।

42.स जनो; तिम ज़“न्य Ð।तें जने (ते जना:); त”म्य ज़"न्य Ð।तें3 जनें3 (तेन जनेन); तिमव, जन्यव Ð ।तैं जनै: (तै: जनै:); कर्म, संप्रदान, अपादान और अधिकरण में प्राय: संबंध के मूल रूप में ही परसर्ग जोड़कर काम निकाला जाता है;

43.स्वतंत्र 15 रचनाओं का समावेश है, जिनके नाम हैं-(1) खुद्दक पाठ (2) धम्मपद (3) उदान (4) इतिवुत्तक (5) सुत्तनिपात (6) विमानवत्थु (7) पेतवत्थु (8) थेरगाथा (9) थेरीगाथा (10) जातक (11) निद्देस (12) पटिसंभिदामग्ग (13) अपादान (14) बुद्धवंस और (15) चरियापिटक।

44.विभक्तियों के नाम के अनुसार इसके छह भेद हैं-(1) कर्म तत्पुरुष गिरहकट गिरह को काटने वाला(2) करण तत्पुरुष मनचाहा मन से चाहा(3) संप्रदान तत्पुरुष रसोईघर रसोई के लिए घर(4) अपादान तत्पुरुष देशनिकाला देश से निकाला(5) संबंध तत्पुरुष गंगाजल गंगा का जल(6) अधिकरण तत्पुरुष नगरवास नगर में वास

45.खुद्दक निकाय में विषय तथा रचना की दृष्टि से प्राय: सर्वथा स्वतंत्र 15 रचनाओं का समावेश है, जिनके नाम हैं-(1) खुद्दक पाठ (2) धम्मपद (3) उदान (4) इतिवुत्तक (5) सुत्तनिपात (6) विमानवत्थु (7) पेतवत्थु (8) थेरगाथा (9) थेरीगाथा (10) जातक (11) निद्देस (12) पटिसंभिदामग्ग (13) अपादान (14) बुद्धवंस और (15) चरियापिटक।

46.विभक्तियों के नाम के अनुसार तत्पुरुष समास छह भेद हैं-# कर्म तत्पुरुष (गिरहकट-गिरह को काटने वाला) # करण तत्पुरुष (मनचाहा-मन से चाहा) # संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर-रसोई के लिए घर) # अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला-देश से निकाला) # संबंध तत्पुरुष (गंगाजल-गंगा का जल) # अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास-नगर में वास)

47.पूरबी अवधी में अब तक अपादान कारक के (और करण के भी) चिह्न के रूप में ' भै ' या ' भए ' शब्द का प्रयोग होता है, जैसे-' मीत भै ' (= मित्र से), ' तर भै ' (= नीचे से), ' ऊपर भै ' (= ऊपर से) ।

48.विभक्तियों के नाम के अनुसार इसके छह भेद हैं-(1) कर्म तत्पुरुष गिरहकट गिरह को काटने वाला (2) करण तत्पुरुष मनचाहा मन से चाहा (3) संप्रदान तत्पुरुष रसोईघर रसोई के लिए घर (4) अपादान तत्पुरुष देशनिकाला देश से निकाला (5) संबंध तत्पुरुष गंगाजल गंगा का जल (6) अधिकरण तत्पुरुष नगरवास नगर में वास

49.चिह्न अर्थ कारक ने जो काम करे कर्ता को जिस पर काम का प्रभाव पड़े कर्म से जिसके द्वारा काम हो करण के लिए जिसके लिए काम हो सम्प्रदान से जिससे कोई वस्तु अलग हो अपादान का, के, की जो किसी से सम्बन्ध बताए सम्बन्ध में, पर या स्थान हो जो काम करने का आधार अधिकरण हे, अरे जिसे सम्बोधन किया (पुकारा) जाए सम्बोधन

50.विभक्तियों के नाम के अनुसार इसके छह भेद हैं-(1) कर्म तत्पुरुष गिरहकट गिरह को काटने वाला (2) करण तत्पुरुष मनचाहा मन से चाहा (3) संप्रदान तत्पुरुष रसोईघर रसोई के लिए घर (4) अपादान तत्पुरुष देशनिकाला देश से निकाला (5) संबंध तत्पुरुष गंगाजल गंगा का जल (6) अधिकरण तत्पुरुष नगरवास नगर में वास (क) नञ तत्पुरुष समास जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं।

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