पत्रावली के अवलोकन से यह तथ्य अकाट्य रूप से सिद्ध है कि धारा 4 उ0प्र0 सार्वजनिक भू-गृहादि अधिनियम (अप्राधिकृत अध्यासियों की बेदखली) अधिनियम 1972 के अन्तर्गत जारी नोटिस में स्पष्ट रूप से आधार अंकित किये गये हैं, अतः अध्यासी/अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह कथन निराधार है कि उक्त अधिनियम की धारा 4 के अन्तर्गत जारी नोटिस अवैध और त्रुटिपूर्ण होने के कारण निरस्त होने योग्य है।
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उत्तर प्रदेश सार्वजनिक भू-गृहादि (अप्राधिकृत अध्यासियों की बेदखली) अधिनियम-1972 की धारा-4 में यह स्पष्ट प्राविधान किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा सरकारी भूमि पर कोई अवैध कब्जा किया गया हो तो इस सम्बन्ध में सरकार के अलावा विहित प्राधिकारी भी स्वयं या किसी अन्य पर्याप्त सूचना के आधार पर अवैध कब्जेदार के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सार्वजनिक भू-गृहादि (अप्राधिकृत अध्यासियों की बेदखली) अधिनियम की धारा-4 के तहत कार्यवाही कर सकता है।
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अपील के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि पटवारी डीडीहाट द्वारा एक चालानी रिपोर्ट नायब तहसीलदार डीडीहाट के माध्यम से अधीनस्थ न्यायालय में दिनांक 26-7-2002 को इस आशय से प्रस्तुत की गयी थी कि अतिक्रमण कारी टिकेन्द्र सिंह द्वारा 5 माह से राज्य सरकार की खतौनी खाता संख्या-28 के खेत नम्बर-632 कुल रक्वा 25 नाली 2 मुट्ठी 6 मुट्ठी भूमि जो राज्य सरकार के नाम दर्ज है, अप्राधिकृत अध्यासन किये हुए है।
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संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि, पटवारी दैड़ा, तहसील ऊखीमठ, जनपद रूद्रप्रयाग ने उप जिलाधिकारी, ऊखीमठ के न्यायालय में एक चालानी रिपोर्ट इस आशय की प्रस्तुत की कि, अवैध आवादकार द्वारा ग्राम सारी की सीमान्तर्गत कौकुवाडांग नामे तोक में उत्तराखण्ड सरकार की खतौनी खाता संख्या 23 के खसरा नम्बर 129 रकवा 61.870 है0 मध्ये 0.008 है0 राज्य भूमि पर बिना अनुमति के अप्राधिकृत अध्यासन किये हुये है और इसमें मकान निर्माण किया है।
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इसके कारण उपभोक् ताओं से धोखा होने की संभावना होती है क् योंकि उन् हें उत् पाद की बेकार नकल प्राप् त होती है जिसे वे विशिष् ट गुणवत्ता और विशेषताओं वाले वास् तविक उत् पाद समझकर खरीदते हैं, जबकि उत् पादकों को नुकसान और क्षति होती है क् योंकि उनका बहुमूल् य व् यवसाय अप्राधिकृत पक्ष अपना लेता है और उत् पादों के संबंध में उनकी सुस् थापित प्रतिष् ठा पर बट्टा लग जाता है।
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निरीक्षण के दौरान 16 उपभोक्ताओं से फीडबैक लिया गया जिसके अनुसार कैश एंड कैरी छूट न दिए जाने, गोदाम पर उसका नोटिस न लगाए जाने, झूठे कनेक्शनों के सिलेंडरों को अप्राधिकृत चैनल को सिलेंडरों की डिलीवरी, बाउचर की तिथि का सप्लाई की तिथि से मैच न होना, सप्लाई में अनावश्यक देरी करना, डिलीवरीमैन का यूनिफार्म में न होना तथा नए कलेक्शनों के साथ जबरदस्ती हाॅट प्लेट की बिक्री करना जैसी अनियमितताएं पायी गयी।
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चालानी रिपोर्ट के अनुसार जोगा राम पुत्र डिकर राम निवासी ग्राम चॉमी पटवारी क्षेत्र पनुआनौला द्वारा अर्सा 6 माह पूर्व से उत्तर प्रदेश सरकार के खतौनी खाता संख्या 100 गैर जमिंदारी विनाश के पैमायशी खेत संख्या 17393 मध्ये रकवा दो मु0 भूमि जो सावर्जनिक उपयोग की है, में अप्राधिकृत अध्यासन किया हुआ है और उसमें मकान निर्माण किया हुआ है जिस पर कानूनन कोई अधिकार उसे ऐसा करने का नहीं है तथा अध्यासी ने उक्त भूमि से 1200/-रू0 वार्षिक लाभ उठाया है।
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अपील के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि पटवारी डीडीहाट द्वारा एक चालानी रिपोर्ट नायब तहसीलदार डीडीहाट के माध्यम से अधीनस्थ न्यायालय में दिनांक 15-4-2002 को इस आशय से प्रस्तुत की गयी थी कि आवादकार दीपू डसीला राज्य सरकार की खतौनी खाता संख्या-30 के पैमायशी खेत नम्बर-680 के कुल रक्वा 2 नाली 3 मुट्ठी मध्ये 3 मुटठी भूमि जो राज्य सरकार के नाम दर्ज है, अप्राधिकृत अध्यासन किये हुए है और उसमें भवन निर्माण किये हुए है, अवैध अध्यासी द्वारा राज्य सरकार की भूमि से कुल 15,000-00रूपये का लाभ उठाया जा रहा है।
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उक्त नोटिस में आधार पर्याप्त रूप से दर्शित किये गये हैं कि उपरोक्त व्यक्ति श्री जोगा राम पुत्र डिकर राम निवासी ग्राम चामी पटवारी क्षेत्र पनुआनौला द्वारा अर्सा 6 माह पूर्व से उत्तर प्रदेश सरकार के खतौनी खाता संख्या 100 गैर जमिंदारी विनाश के पैमायशी खेत संख्या 17393 मध्ये रकवा दो मु0 भूमि जो सावर्जनिक उपयोग की है, में अप्राधिकृत अध्यासन किया हुआ है और उसमें मकान निर्माण किया हुआ है जिस पर कानूनन कोई अधिकार उसे ऐसा करने का नहीं है तथा अध्यासी ने उक्त भूमि से 1200/-रू0 वार्षिक लाभ उठाया है।