रेडियो अभिग्राही में काम में आने वाला एक प्रकार का एलेक्ट्रानीय परिपथ जिसका उपयोग अभिग्राही की निर्गम प्रबलता को नियत बनाये रखने के लिये किया जाता है चाहे अभिग्राही के निवेश को प्राप्त होने वाला संकेत में कितना भी घट-बढ़ क्यों न हो।
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रेडियो अभिग्राही में काम में आने वाला एक प्रकार का एलेक्ट्रानीय परिपथ जिसका उपयोग अभिग्राही की निर्गम प्रबलता को नियत बनाये रखने के लिये किया जाता है चाहे अभिग्राही के निवेश को प्राप्त होने वाला संकेत में कितना भी घट-बढ़ क्यों न हो।
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रेडियो अभिग्राही में काम में आने वाला एक प्रकार का एलेक्ट्रानीय परिपथ जिसका उपयोग अभिग्राही की निर्गम प्रबलता को नियत बनाये रखने के लिये किया जाता है चाहे अभिग्राही के निवेश को प्राप्त होने वाला संकेत में कितना भी घट-बढ़ क्यों न हो।
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गोनाडो-त्रोपिन-रिलीजिंग हामोन एगोनिस्ट्स: ये दवाएं जो हारमोन की नक़ल उतारतीं हैं एक अनुक्रिया को प्रेरित करतीं हैं एक कोशा अभिग्राही (सेल रिसेप्टर) से खुद को नत्थी (बाई बाइंडिंग टू ए सेल रिसेप्टर करके) नतीज़न फिब-रोइड्स सिकुड़ सकतें हैं.
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दूरी के साथ कार्बनडायआक्साइड के उत्सर्जन में आने वाले बदलाव (Carbon dioxide gradients) को ताड़ने के लिए ये कीट chemo-receptors (रासायनिक अभिग्राही) तथा विद्युत्चुम्बकीय क्षेत्रों (electromagnetic fields) में भू-कंप से पैदा स्थानीय बदलावों को चुम्बकीय अभिग्राहियों से जान लेते हैं.
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स्वचालित लब्धि नियंत्रक (Automatic gain control / AGC) रेडियो अभिग्राही में काम में आने वाला एक प्रकार का एलेक्ट्रानीय परिपथ जिसका उपयोग अभिग्राही की निर्गम प्रबलता को नियत बनाये रखने के लिये किया जाता है चाहे अभिग्राही के निवेश को प्राप्त होने वाला संकेत में कितना भी घट-बढ़ क्यों न हो।
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स्वचालित लब्धि नियंत्रक (Automatic gain control / AGC) रेडियो अभिग्राही में काम में आने वाला एक प्रकार का एलेक्ट्रानीय परिपथ जिसका उपयोग अभिग्राही की निर्गम प्रबलता को नियत बनाये रखने के लिये किया जाता है चाहे अभिग्राही के निवेश को प्राप्त होने वाला संकेत में कितना भी घट-बढ़ क्यों न हो।
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स्वचालित लब्धि नियंत्रक (Automatic gain control / AGC) रेडियो अभिग्राही में काम में आने वाला एक प्रकार का एलेक्ट्रानीय परिपथ जिसका उपयोग अभिग्राही की निर्गम प्रबलता को नियत बनाये रखने के लिये किया जाता है चाहे अभिग्राही के निवेश को प्राप्त होने वाला संकेत में कितना भी घट-बढ़ क्यों न हो।
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शोध टोली ने कंप्यूटर पुनर-सरंचना (कम्पू-तेश्नल रिकंस्त्रक्ष्ण) का स्तेमाल प्राचीन जींस के क्रम दोबारा तैयार करनें के अलावा, दी एन ऐ संश्लेषण, प्रोटीन इंजिनीअरिंग के अलावा एक्स-रे-क्रिस्तालोग्रेफी का स्तेमाल एक हारमोन रिसेप्टर (अभिग्राही) के जीन को दोबारा प्रयोज्य बनाने के लिए किया था.
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अमरीकी साइंसदानों ने स्वाद-अभिग्राहियों के हमारे फेफड़ों में भी मौजूद होने की इत्तल्ला दी है. जैसी स्वाद कलिकाएँ,स्वाद-अभिग्राही हमारी ज़बान में होतीं हैं लंग्स में उनकी शिनाख्त होना दमे के इलाज़ को नए आयाम दे सकता है.ये अभिग्राही एयर-वेज़ के फैलाव और सिक्डाव(कोंट्रेक्सन और रिलेकसेसन)का विनियमन कर सकतें हैं ।