उतर जाता है| २. जिस व्यक्ति में प्रेत का आवेश आया हो, उस पर उपरोक्त सूत्रों से अभिमंत्रित जल के छीटें मरने से आवेश छूट जाता है तथा इन्हीं सूत्रों को भोजपत्र पर लिख कर गले मे
42.
सिपाही की याचना पर यामजिकी बच्चे को लेकर माटशुटरो की कब्र पर गया और सामने बच्चे को बैठाकर कुछ मंत्र पढ़े, प्रार्थनाएं कीं तथा अभिमंत्रित जल से अंकित अक्षरों पर रूई के फाहे से पानी लगाया।
43.
प्रस्तुत मंत्र का तुलसी की माला से जाप करना चाहिए या ध्यान की अवस्था में बैठ कर उच्चारण करते हुये मंत्र का जाप करें, गंगाजल में शहद मिला कर पवित्र अभिमंत्रित जल से कई बार आचमन करना चाहिए
44.
गुरू जाम्भोजी महाराज ने इसी दिन कार्तिक बदी 8 को सम्भराल पर स्नान कर हाथ में माला औरमुख से जप करते हुए कलश-स्थापन कर पाहल (अभिमंत्रित जल) बनाया और 29 नियमों की दीक्षा एवं पाहल देकर बिश्नोई धर्म की स्थापना की।
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इन सूत्रों द्वारा झाड़ने-फूँकने से ज्वर उतर जाता है| अथवा इन्हें पीपल के एक बड़े पते पर लिखकर गले या हाथ पर बाँधने से भी ज्वर उतर जाते हैं| ४. मिर्गी(अपस्मार) होने पर भी इन सूत्रों से झाड़ना चाहिए तथा अभिमंत्रित जल प्रतिदिन पिलाना चाहिए|
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2. कम-से-कम 12 वर्ष तक गायत्री साधना करने वाले साधक गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित जल (मंजे हुये शुद्ध बर्तन में शुद्ध कूपजल या गंगाजल डालकर 11 बार गायत्री मंत्र बोलते हुये उसमें दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली फिराकर रोगी तथा रोगी के कमरे में सर्वत्र छिड़क दें।
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किसी मांत्रिक से सिद्ध यंत्र मंगलवार के दिन भोजपत्र पर लाल चंदन से लिखकर (पुरूष हो तो दाहिने हाथ में, स्त्री हो तो बायंे हाथ में) चांदी या तांबे के ताबीज में डालकर, धूप देकर बांध दें और प्रतिदिन गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित जल उस पर छिड़कते और उसे पिलाते रहें।
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इससे पहले उन्होंने बाईबिल साहित्य को समझा कर उपस्थित जगदीश राजभर पुत्र सदरी, शिव सागर वर्मा पुत्र झगरू वर्मा, रामचन्दर यादव पुत्र लक्ष्मी यादव, हीरालाल वरेण पुत्र सुन्दर वरेण सहित अन्य ग्रामीणों को प्रभु यीशु के मंत्रों से अभिमंत्रित जल को पिला कर सारे रोगों से छुटकारा दिलाने की बात भी कही।
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इससे पहले उन्होंने बाईबिल साहित्य को समझा कर उपस्थित जगदीश राजभर पुत्र सदरी, शिव सागर वर्मा पुत्र झगरू वर्मा, रामचन्दर यादव पुत्र लक्ष्मी यादव, हीरालाल वरेण पुत्र सुन्दर वरेण सहित अन्य ग्रामीणों को प्रभु यीशु के मंत्रों से अभिमंत्रित जल को पिला कर सारे रोगों से छुटकारा दिलाने की बात भी कही।
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यह उनके दुश्मनों के सर्वनाश के काबिल है कि नहीं? वे इसका इस्तेमाल करेंगे? कब करेंगे? किस पर करेंगे? वह तत्काल भस्म हो जायेगा या तड़प-तड़पकर मरेगा? जनाब, शाप देंगे या अभिमंत्रित जल छिड़केंगे? लोकतंत्र में तंत्र साधना और राजनीति में कोई वास्ता है या नहीं? अभी बहुत कुछ दिखना बाकी है।