आरोप को सिद्व करने हेतु अभियोजन ने पी0डब्लू-1 अभियोक्त्री कु0 भागीरथी, पी0डब्लू-2 त्रिलोक राम एवं पी0डब्लू-3 श्रीमती रेवती देवी की साक्ष्य कराई।
42.
पत्रावली पर जो अभिलेख प्रस्तुत किये गये हैं उसके आधार पर यही लगता है कि अभियुक्त व अभियोक्त्री का विवाह हुआ था।
43.
दूसरे शब्दों में, अभियोक्त्री समेत सारे गवाह पक्षद्रोही घोषित हुए हैं और उनके बयानों से अभियोजन पक्ष को कोई लाभ नहीं मिलता है।
44.
पत्रावली पर अभियोक्त्री का आयु के सम्बन्ध में उसका हाई स्कूल परीक्षा प्रमाण पत्र-अंकतालिका उपलब्ध है जिसके अनुसार उसकी जन्म तिथि 1. 8.1992 है।
45.
इस साक्षी ने अपनी मुख्य परीक्षा में कथन किया है कि अभियोक्त्री उसकी पुत्री है और घटना के समय उसकी आयु 15 वर्ष थी।
46.
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यही प्रतीत होता है कि कथित घटना यदि हुई है तो वह अभियोक्त्री की सहमति से ही हुई है।
47.
न्यायालयों को मुकदमें की व्यापक संभावनाओं को देखना चाहिए और अभियोक्त्री के कथन में मामूली विसंगतियों या अमहत्वपूर्ण अंतर के कारण डांवाडोल नहीं होना चाहिए।
48.
न्यायालयों को मुकदमें की व्यापक संभावनाओं को देखना चाहिए और अभियोक्त्री के कथन में मामूली विसंगतियों या अमहत्वपूर्ण अंतर के कारण डांवाडोल नहीं होना चाहिए।
49.
अभियोक्त्री के बयान अंतर्गत धारा 164 दंड प्रक्रिया संहिता के आधार पर मेरे पूर्वाधिकारी ने दिनांक 25. 5.2009 को अभियुक्त की जमानत भी स्वीकार की थी।
50.
पी. डब्लू. 3 आशू ने भी अपने मुख्य परीक्षा बयान में अभियोक्त्री की उम्र 17-18 वर्ष व प्रतिपरीक्षा में 18 वर्ष से ज्यादा होना कही।