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अभिवाही उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
41.चूंकि मस्तिष्क, वेंटिलेशन से संबंधित अपनी अभिवाही जानकारी की भरपूर मात्रा प्राप्त करता है, यह श्वसन के मौजूदा स्तर से तुलना करने में सक्षम होती है जैसा कि अपवाही संकेतों द्वारा निर्धारित होता है.

42.चूंकि मस्तिष्क, वेंटिलेशन से संबंधित अपनी अभिवाही जानकारी की भरपूर मात्रा प्राप्त करता है, यह श्वसन के मौजूदा स्तर से तुलना करने में सक्षम होती है जैसा कि अपवाही संकेतों द्वारा निर्धारित होता है.

43.यद्यपि अभी तक छींक पैदा करने वाले आवेगों के अभिवाही पथों के विषय में वैज्ञानिक एकमत नहीं हो पाए हैं ; किन्तु इस बात से वैज्ञानिक सहमत हैं कि जब ये आवेग मस्तिष्क में स्थित छींक केंद्र को उत्तेजित करते हैं तभी छींक आती है।

44.शिराएं भी धमनियों जैसे वितरण पैटर्न का ही पालन करती हैं, अभिवाही शिराएं चापाकार शिराओं को रक्त प्रदान करती हैं और फिर वहां से यह अंतर्खण्डात्मक शिराओं की ओर जाता है, जो रक्ताधान के लिये गुर्दे से बाहर निकलने वाली वृक्कीय शिरा का निर्माण करती हैं.

45.शिराएं भी धमनियों जैसे वितरण पैटर्न का ही पालन करती हैं, अभिवाही शिराएं चापाकार शिराओं को रक्त प्रदान करती हैं और फिर वहां से यह अंतर्खण्डात्मक शिराओं की ओर जाता है, जो रक्ताधान के लिये गुर्दे से बाहर निकलने वाली वृक्कीय शिरा का निर्माण करती हैं.

46.वैज्ञानिकों का विचार है कि सभी तरह के छींक पैदा करने वाले उद्दीपकों के लिए एक ही अभिवाही पथ नहीं हो सकता है किन्तु अध्ययनों से यही ज्ञात होता है कि अधिकतर उद्दीपकों के कारण नाक के अंदर श्लेष्मीय अतिरिक्तता एवं श्लेष्मा का स्राव होता है।

47.शिराएं भी धमनियों जैसे वितरण पैटर्न का ही पालन करती हैं, अभिवाही शिराएं चापाकार शिराओं को रक्त प्रदान करती हैं और फिर वहां से यह अंतर्खण्डात्मक शिराओं की ओर जाता है, जो रक्ताधान के लिये गुर्दे से बाहर निकलने वाली वृक्कीय शिरा का निर्माण करती हैं.

48.धूसर पदार्थ के बाहर श्वेत पदार्थ उन अभिवाही और अपवाही सूत्रों का बना हुआ है जिनके द्वारा संवेदनाएँ त्वचा तथा अंगों से उच्च केंद्रों में और अंत में प्रमस्तिष्क की प्रांतस्था में पहुंचती हैं तथा जिन सूत्रों द्वारा प्रांतस्था और अन्य केंद्रों से प्रेरणाएँ या संवेग अंगों और पेशियों में जाते हैं।

49.धूसर पदार्थ के बाहर श्वेत पदार्थ उन अभिवाही और अपवाही सूत्रों का बना हुआ है जिनके द्वारा संवेदनाएँ त्वचा तथा अंगों से उच्च केंद्रों में और अंत में प्रमस्तिष्क की प्रांतस्था में पहुंचती हैं तथा जिन सूत्रों द्वारा प्रांतस्था और अन्य केंद्रों से प्रेरणाएँ या संवेग अंगों और पेशियों में जाते हैं।

50.धूसर पदार्थ के बाहर श्वेत पदार्थ उन अभिवाही और अपवाही सूत्रों का बना हुआ है जिनके द्वारा संवेदनाएँ त्वचा तथा अंगों से उच्च केंद्रों में और अंत में प्रमस्तिष्क की प्रांतस्था में पहुंचती हैं तथा जिन सूत्रों द्वारा प्रांतस्था और अन्य केंद्रों से प्रेरणाएँ या संवेग अंगों और पेशियों में जाते हैं।

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