नेताजी के ये मधुर वचन और गीता का कर्मयोग मेरे दिमाग में ऐसे खुदुर-बुदुर हो रहे थे जैसे अलमुनियम की पतीली में तेज आंच पर रखे चावल और उड़द होते हैं.
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यह सुनते ही लोग हतप्रभ रह गए, तब जा के गाँव की एक महिला ने अलमुनियम का एक लोटा दिया और श्री शरण शौचपीड़ा से बेचैन राहत भरी साँस ले पाये.
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मगर क्या करें जनाब? भकुवों की फ़ौज में हम वैसे की अकेले हैं जैसे अलमुनियम के चमकते ढेर में एक पीतल या कांसे का लोटा / मगर जो है वो है /
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अजैव अथवा परिवर्तनीय कूड़ा कहलाते हैं पौलीथीन बैग, प्लास्टिक की बोतलें, गुटखा और पान मसाला के खाली पैकेट, लोहा / अलमुनियम का सामान, कांच का टूटा सामान, कप प्लेट इत्यादि।
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पीतल की बाल्टी की यह बातें सुन बेचारी किस्मत को कोसती अलमुनियम की बाल्टी जोर-जोर से रोते, अपनी किस्मत को कोसते घर की ओर जाते हुए बोली ‘ हाय रे मेरी किस्मत, न हुई निर्दलीय की बाल्टी।
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मैं हर बार ईंटों पर हंडी चढ़ते ही मन ही मन अंदर हिम्मत बटोरता कि इस बार मीट खा लूंगा, मसाले की महक लेता खुश होता लेकिन अलमुनियम की थाली में मीट परसते ही मेरे हाथ-पांव फूलने लगते.
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भाई रवीश जी, हर परिवार में रहा होगा ये अलमुनियम का बक्सा, हर भाई ने इस बक्से के साथ की होगी विदाई अपनी प्यारी बहनों की,मध्य वर्गीय परिवार की पहचान भी है ये अलमुनियम का बक्सा........
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भाई रवीश जी, हर परिवार में रहा होगा ये अलमुनियम का बक्सा, हर भाई ने इस बक्से के साथ की होगी विदाई अपनी प्यारी बहनों की,मध्य वर्गीय परिवार की पहचान भी है ये अलमुनियम का बक्सा........
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अलमुनियम का वह दो डिब्बो वाल कटोरदान बच्चे के हाथ से छूटकर नहीं गिरा होता सड़क पर तो यह कैसे पता चलता कि उसमें चार रूखी रोटियों के साथ साथ प्याज की एक गांठ और दो हरी मिरचें भी थीं
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भाई रवीश जी, हर परिवार में रहा होगा ये अलमुनियम का बक्सा, हर भाई ने इस बक्से के साथ की होगी विदाई अपनी प्यारी बहनों की, मध्य वर्गीय परिवार की पहचान भी है ये अलमुनियम का बक्सा........