अलर्क प्राचीनकाल के एक राजा का नाम था जिसने एक ब्राह्मण के माँगने पर अपनी आँखें निकालकर उसे दे दी थीं।
42.
अलर्क राजा हुए और उन्होंने गङ्गा-यमुना के संगम पर अपनी अलर्कपुरी नाम की राजधानी बनायी (जो आजकल अरैल के नाम से प्रसिद्ध है)
43.
जाने से पहले वह एक यंत्र अलर्क को दे गई जिसमें संकट के समय उसे खोलकर उसके अनुसार आचरण करने का निर्देश दिया।
44.
४ २ (अलर्क द्वारा प्रयुक्त बाणों से इन्द्रियों का अप्रभावित रहना, श्रीहरि द्वारा प्रदत्त बाणों से इन्द्रियों का निग्रह) Indriya
45.
कहा गया है कि भगवान के षष्ठ अवतार दत्तात्रेय ने अलर्क और प्रह्लाद आदि को ' आन्वीक्षिकी ' रूपा अध्यात्मविद्या का उपदेश दिया था-
46.
उन्होंने श्रीगणेश, कार्तिकेय, प्रह्लाद, यदु, सांकृति, अलर्क, पुरुरवा, आयु, परशुराम व कार्तवीर्यको योग एवं अध्यात्म की शिक्षा दी।
47.
पति की इच्छा जानकर मंदालसा ने आठवें पुत्र अलर्क को योग्य शासक बनाया तथा उचित समय पर अलर्क को राज्य सौंपकर पति के साथ वन को प्रस्थान कर गई।
48.
पति की इच्छा जानकर मंदालसा ने आठवें पुत्र अलर्क को योग्य शासक बनाया तथा उचित समय पर अलर्क को राज्य सौंपकर पति के साथ वन को प्रस्थान कर गई।
49.
अब जब चौथे पुत्र अलर्क को भी महारानी ब्रह्मज्ञान सिखाने लगी तो राजा ने कहा-देवि! इस पितृ-पितामह के चले आये राज्य को कौन करेगा? इसे तो संसार के योग्य रहने दो।
50.
७ (अलर्क द्वारा मन, घ्राण, जिह्वा आदि इन्द्रियों रूपी शत्रुओं पर बाणों का प्रहार, इन्द्रियों का बाणों से अप्रभावित रहना, ध्यान योग के एक बाण द्वारा इन्द्रियों का विद्ध होना), ४ २.