संवर्गों की समाप्ति, पदों में कटौतियाँ, संविदा तैनाती, पी. पी. पी. मोड और आर. टी. ई. से शिक्षक हितों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों पर जहाँ व्यापक विचार-विमर्श की गुंजाइश थी, वहीं प्रदेश के शिक्षा मंत्री भी पूरी शिक्षा नीति को सुगम-दुर्गम के खेल में समेट कर शिक्षकों को नसीहत देकर चले गये कि प्राइवेट विद्यालयों में अल्प वेतन वाला शिक्षक सरकारी विद्यालयों में उच्च वेतन पाने वाले शिक्षक से अच्छा कार्य कर रहा है।
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प्रवक्ता ने कहा कि माननीया मुख्यमन्त्री जी ने पत्र में प्रधानमन्त्री जी को यह भी अवगत कराया था कि संविदा के आधार पर भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए नियुक्त कार्मिकों में एक ओर अल्प वेतन एवं अस्थायी व्यवस्था होने के कारण प्राय: असन्तोष रहता है, वहीं दूसरी ओर इस प्रकार की अस्थायी व्यवस्था के अन्तर्गत नियुक्त कार्मिक विभिन्न सेवा सम्बंधी मांगों को लेकर आन्दोलनरत रहते हैं और इनका सीधा कुप्रभाव राज्य की शान्ति व्यवस्था पर पड़ता है।
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व्यक्ति के जीवन की अव्यशाक्ताओं को क्रमबद्ध किया जाये तो पहली अव्येशाकता उसके लिए रोजगार है क्योकि रोजगार से ही व्यक्ति व् उसके परिवार की प्राथमिक अव्य्शाक्ताओं की पूर्ति एवं सामाजिक स्तर का निर्धारण होता है देश की सभी छोटी बड़ी राजनैतिक पार्टियाँ बेरोजगारी दूर करने के वादे और नारे देती है किन्तु वास्तविकता काफी भिन्न है केंद्र एवं राज्ये सरकार के अधिकांश विभागों में अस्थायी व्यवस्था (सविंदा) आधार पर अल्प वेतन पर देश के युवाओं से सरकारों द्वारा कार्य तो लिया जा रहा है किन्तु उन्हें नियमित नहीं!