छिछले नाले का रूप ले चुकी वरुणा में काला, बदबूदार अवजल इस कदर भरा है कि नदी के पेटे में तटीय बस्तियों के लोग झांकते तक नहीं।
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किसी जमाने में बरसाती पानी के निकास के तौर पर वरुणा से मिलने वाला बघवा नाला शहर के विस्तार के साथ ही अवजल निकास का जरिया बना गया।
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4. विषाक्त रसायनों से प्रदूषित अवजल गंगाजी में या उनमें गिरने वाले नदी-नालों में डालने वाले उद्योगों को गंगाजी से कम से कम 50 किमी. दूर हटाया जाये।
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यही हाल औद्योगिक इलाकों से यमुना में आने वाले कचरा को रोकने के लिए संयुक्त अवजल शोधन संयंत्र (सीईटीपी) और 13 सौ से अधिक अवजल शोधन संयंत्र (ईटीपी) का है।
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यही हाल औद्योगिक इलाकों से यमुना में आने वाले कचरा को रोकने के लिए संयुक्त अवजल शोधन संयंत्र (सीईटीपी) और 13 सौ से अधिक अवजल शोधन संयंत्र (ईटीपी) का है।
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डाउन स्ट्रीम (सरायमोहाना) के निकट वरुणा के दूषित जल इसे और प्रदूषित कर रहे हैं तो सेंट्रल जोन (बीच) में 38 नालों के जरिए इसमें शहर के अवजल गिराए जा रहे हैं।
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अवजल को शोधित करके गंगा या कावेरी में ही डाल देने की बजाय ड्रेन पाइपों के ज़रिये उन्हें नदी से दस-बीस मील दूर ले जाया जाय और मैदानों में छोड़ा जा य.
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नदी की गहराई ज्यादा होगी तो नीचे का ताप कम होगा जब ताप कम होगा तो पानी में आक्सीजन रखने की क्षमता अधिक होगी और पानी का वेग अवजल की मात्र को घटाता जाएगा।
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इधर, गंगा में अवजल की मात्रा जहां बढ़ती जा रही है वहीं नदी का डिस्चार्ज (प्रवाह) घटने से काशी में गंगा सिकुड़ कर नाले का रूप अख्तियार करती जा रही हैं।
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अब यदि हम निर्मलीकरण अभियान से पहले गंगा की दशा पर विचार करें तो पाते हैं कि गंगा में अवजल और गंगाजल के बीच का अनुपात छः हजार गुना से कहीं अधिक हुआ करता था।