| 41. | कुछ वैज्ञानिक अवयवी के ममी-~ भूतवास्तविक रूप या उन अवयवियों के खनिजान्तरित अथवा पथराये हुए साँचे को हा सिर्फफासिल मानते हैं.
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| 42. | इसके विपक्ष में वसुबंधु का मत है कि एक अवयवीविषय नहीं हो सकताहै, क्योंकि अवयवों से भिन्न अवयवी का कहीं ग्रहणनहींहोता है.
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| 43. | निष्कर्ष: रंगों की विचलन-दूरी समान नहीं होने के कारण प्रिज्म के अन्दर दुबारा अवयवी रंग पुनः एकत्रित नहीं हो पाते हैं।
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| 44. | अनुकूलित संबंध काफ़ी कड़े हो सकते हैं और बदलते हुए परिवेश में अवयवी के व्यवहार पर उनका नगण्य-सा ही प्रभाव पड़ता है।
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| 45. | ठोसों को उनके अवयवी कणों की व्यवस्था में उपस्थित क्रम की प्रकृति के आधार पर क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय में वर्गीकृत किया जाता है।
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| 46. | अवयव का यहाँ गौण प्रयोग हुआ है, मुख्य प्रयोग तो इसका अवयवी के (द्रव्य के) अंग रूप में प्रसिद्ध है।
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| 47. | अवयवी का यह सारा जटिल कार्य, उसे अपने को परिस्थिति के अनुकूल ढ़ालने और जीवनीय समस्याएं हल करने की संभावनाएं देता है।
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| 48. | उस क्रिया से उसके अवयवों में विभाग होता है, विभाग से अवयवी (घट) के आरंभक संयोगों का नाश होता है।
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| 49. | उदाहरण के लिए, चाक्षुष ग्राही का विकास अवयवी द्वारा अपने को सूर्य के विसरित प्रकाश के परावर्तन के अनुकूल बनाने पर निर्भर था।
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| 50. | कणाद यह कहते हैं कि जिस सम्बन्ध के कारण अवयवों में अवयवी, व्यक्ति में जाति आदि का बोध होता है, वह समवाय कहलाता है।
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