| 41. | इस अविद्या के कारण जड़ चित्त और &
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| 42. | अविद्या से मुक्त जीव अपने आपको ब्रह्म ही पाता
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| 43. | माया व्यापक अविद्या है जिसमें सभी मनुष्य फँसे हैं।
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| 44. | परिणामस्वरूप पांच पर्वों से समन्वित अविद्या का आविर्भाव हुआ।
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| 45. | जीव, अविद्या और क्लेश पर्यायवाची हैं।
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| 46. | जयापरी ॥ ४३९ ॥ तेवीं समूळ अविद्या खाये ।
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| 47. | सही कहा है कि अविद्या साहस की जननी है।
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| 48. | इसी अविद्या से प्राणियों की उत्पत्ति हुई।
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| 49. | अविद्या का स्वरूप है अनात्मा में आत्मबुद्धि होना ।
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| 50. | अविद्या ने ही यह द्वैध उत्पन्न किया है ।
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