दसवाँ वेदान्त कोर्स (हिन्दी) चिन्मय मिशन 20 से 30 साल के उम्र वाले कालेज स्नातक अविवाहित स्त्री एवं पुरुषों को सांदीपनी हिमालय, सिद्वबाड़ी, हिमाचल प्रदेश में मई 08, 2009 से शुरु होने वाले वेदान्त कोर्स के लिए आमंत्रित करता है।
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स्पष्ट है कि कोई विधवा, तलाकशुदा या अविवाहित स्त्री खुशियां मनाने में साझेदार नहीं हो सकती, बल्कि जैसा कि हमारे समाज में शुभ-अशुभ का चलन है, आम तौर पर ऐसे आयोजनों के आसपास उनकी उपस्थिति को भी वांछनीय नहीं समझा जाता।
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अविवाहित स्त्री के साथ विवाहित पुरूष का सम्बन्ध हैं पर समाज की दोषी अविवाहित स्त्री हैं, विवाहित पुरूष नहीं और वो पत्नी तो भी नहीं जो फिर भी ऐसे पुरूष के साथ रहती हैं और दैहिक सम्बन्ध भी बनाती हैं.
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अविवाहित स्त्री के साथ विवाहित पुरूष का सम्बन्ध हैं पर समाज की दोषी अविवाहित स्त्री हैं, विवाहित पुरूष नहीं और वो पत्नी तो भी नहीं जो फिर भी ऐसे पुरूष के साथ रहती हैं और दैहिक सम्बन्ध भी बनाती हैं.
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वह महसूस करती है कि पैंतालिस साल की अविवाहित स्त्री की अपनी ही एक छवि होती है. ठंडापन,चेहरे पर कठोरता,और ऐसी आत्मलीनता जो सनकी पन के नजदीक होती है और हर साफ़ चीज में भी कोई न कोई नुक्स देखती है..
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एक अविवाहित स्त्री पारिवारिक सुख को छोड़ कर नौकरी / अपनी तरक्की की कामना करती हैं यानी वो पहले ही कुछ कम पाती हैं और एक विवाहिता को पारिवारिक सुख के साथ नौकरी का भी सुख हैं फिर क्यूँ विवाहिता को “ special considerations ” मिलने चाहिये कर्तव्य पूर्ति के लिये?
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दूसरा समाचार हैं की एक अविवाहित लड़का जिसकी उम्र १ ८ वर्ष की हैं वो अपने हर निर्णय को लेने के लिये आजाद हैं कानूनी रूप से लेकिन एक अविवाहित स्त्री किसी भी उम्र के पढाव पर क्यूँ ना हो उसका पिता उसका कानूनी संरक्षक माना जाता हैं यानी नैचुरल गार्डियन ।
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{ध्यान दे की मै उस सम्बन्ध की बात नहीं कर रही जहां एक अविवाहित स्त्री या पुरुष किसी विवाहित या अविवाहित से मात्र देह की तुष्टि के लिये संबध बनाता हैं वैसे वहाँ भी मै इसको उनका मामला कहूँगी जब तक उस मामले से किसी का नुक्सान नहीं होता, लेकिन मै इसको गलत कहती हूँ}
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आप के कथन के हिसाब चालू तो हर जगह विवाहित स्त्री को जल्दी घर जाने की सुविधा दे दी जानी चाहिये ताकि वो घर जा कर परिवार संभाल सके? क्यों? एक तरफ़ एक अविवाहित स्त्री परिवार का सुख छोड़ कर काम करती हैं तो दूसरी तरफ़ विवाहित स्त्री परिवार का सुख भी भोग रही हैं और उसी काम को जिसको अविवाही स्त्री कर रही करने के लिये रियायत भी चाहती हैं.
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वो जो इतने खोखले हैं की अगर एक विवाहित पुरुष या स्त्री विवाहित होते हुए भी अगर दूसरी जगह सम्बन्ध बनाता हैं {दैहिक / मानसिक} तो समाज उसको गलती का नाम दे देता हैं और वही अगर एक अविवाहित स्त्री / पुरुष किसी विवाहित से सम्बन्ध महज इस लिये बनाता हैं की आगे चल कर उसको उस से विवाह करना हैं तो उसको समाज घर को तोडने वाला / वाली कहता हैं ।