18 अश्मरी (पथरी) में:-अश्मरी एवं मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट होना) में अनन्तमूल की जड़ का 5 ग्राम चूर्ण गाय के दूध के साथ दिन में सुबह और शाम सेवन करने से लाभ होता है।
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किसी प्रकार का मूत्र अवरोध, जैसे बढ़ी हुई प्रॉस्टेट ग्रंथि, मूत्रमार्ग का संकोच आदि, गर्भ के उपघात तथा रोग, मूत्राशय में अश्मरी अथवा अर्बुद आदि का होना, तथा किसी अन्य रोग से सामान्य प्रतिरोध का कम हो जाना, इसके पुर:प्रवर्तक कारण होते हैं।
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वैसे पथरी अर्थात अश्मरी व शर्करा के लक्षण समान ही हैं लैकिन जो अन्तर है वह यह है कि पित्त से पकने बाली तथा वायु से शुष्क होने वाली ऐसी पथरी कफ संबन्धी न हो वह मूत्र मार्ग से रेत के समान झरने लगती है तब वह शर्करा कहलाती है।
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आचार्य सुश्रुत, आचार्य चरक व त्रिष्ठाचार्य के मतानुसार कुष्ठ, उदररोग,, गुदरोग, उन्माद, अपस्मार, पंगुता, भगन्दर, प्रमेह, अन्धता, अर्श, पक्षाघात, देह्क्म्प, अश्मरी, संग्रहणी, रक्तार्बुद, कान व वाणी दोष इत्यादि रोग, परस्त्रीगमन, ब्रहम हत्या, पर धन अपहरण, बालक-स्त्री-निर्दोष व्यक्ति की हत्या आदि दुष्कर्मों के प्रभाव से उत्पन्न होते हैं ।
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छोटी इलायची कड़वी, शीतल, तीखी, लघु, सुगन्धित, पित्तकर, गर्भपातक और रूक्ष होती है तथा वायु (गैस), कफ (बलगम), अर्श (बवासीर), क्षय (टी. बी.), विषदोष, बस्तिरोग (नाभि के नीचे का हिस्सा), कंठ (गले) की बीमारी, मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन होना), अश्मरी (पथरी) और जख्म का नाश करती है।
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आयुर्वेद में पथरी के लिए ' अश्मरी ' शब्द का प्रयोग हुआ है I छोटी गुर्दे की ' पथरी ' को मूत्र मार्ग से बाहर निकालने में आयुर्वेदिक नुस्खे बड़े कामयाब हैं I ऐसे ही कुछ नुस्खे निम्न हैं, हाँ इनका प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से ही करें तो बेहतर होगा I गोक्षुर चूर्ण: 1.5 ग्राम, खीरा बीज चूर्ण-1.5 ग्राम, ककडीबीज चूर्ण-ग्राम एवं कुलथीबीज चूर्ण-1.5 ग्राम का प्रयोग रोगी की आयु के अनुसार कराने से पथरी में काफी लाभ मिलता है।
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यह वनौषधि सर्प विष, मन की अशान्ति, मानसिक विकृति और उच्च रक्तचाप को दूर करने में सफल सिद्ध हुई है Sun, 19 Aug 2007 06:22:34 GMT http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/jadibuti/0708/19/1070819015_1.htm बला (खिरैटी) http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/jadibuti/0708/13/1070813061_1.htm बला जिसे खिरैटी भी कहते हैं, यह जड़ी-बूटी वाजीकारक एवं पौष्टिक गुण के साथ ही अन्य गुण एवं प्रभाव भी रखती है अतः यौन दौर्बल्य, धातु क्षीणता, नपुंसकता तथा शारीरिक दुर्बलता दूर करने के अलावा अन्य व्याधियों Fri, 11 Jan 2008 16:24:34 GMT http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/jadibuti/0708/13/1070813061_1.htm कुलथी http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/jadibuti/0708/05/1070805018_1.htm अश्मरी (पथरी) का भेदन कर मूत्र मार्ग से निकाल देने के लिए यह प्रसिद्ध महौषधि है।