शीला दीक्षित, तेजिंदर खन्ना,और अब पी चिदंबरम, सबका मन दुखता हे,तुम्हारे असभ्य व्यवहार से,पर तुम निकाल देते हो,इस कान से सुन कर उस कान से,कब बदलोगे अपना असभ्य सोच? कामनवेल्थ खेलों में,आयेंगे बड़े-बड़े मेहमान,जिनके थे...
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शीला दीक्षित, तेजिंदर खन्ना,और अब पी चिदंबरम, सबका मन दुखता हे,तुम्हारे असभ्य व्यवहार से,पर तुम निकाल देते हो,इस कान से सुन कर उस कान से,कब बदलोगे अपना असभ्य सोच? कामनवेल्थ खेलों में,आयेंगे बड़े-बड़े मेहमान,जिनके थे
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जो व्यक्ति सार्वजनिक सभाओं में अत्यन्त शालीन, विकासवादी एवं जोशपूर्ण भाषण देते हैं, लोगों को आश्वासन देकर वोट बटोरते हैं, वे ही सदन में कितना असभ्य व्यवहार करते हैं कि देखने वालों को शर्म आ रही है।
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दूसरे पक्ष के असभ्य होने पर दूसरे पक्ष को चेतावनी दी जा सकती है, अधिक समस्या होने पर असभ्य व्यवहार करते सदस्यों को अवरोधित किया जा सकता है, पर उनपर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं किये जा सकते।
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जो व्यक्ति सार्वजनिक सभाओं में अत्यन्त शालीन, विकासवादी एवं जोशपूर्ण भाषण देते हैं, लोगों को आश्वासन देकर वोट बटोरते हैं, वे ही सदन में कितना असभ्य व्यवहार करते हैं कि देखने वालों को शर्म आ रही है।
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भाजपा के सांसदों ने आज मुंह पर उंगली रखकर लोस अध्यक्ष के उस फैसले का विरोध किया जिसमें चटर्जी ने 32 सांसदों के खिलाफ असभ्य व्यवहार का आरोप लगाते हुए विशेषाधिकार समिति को कार्यवाही करने के लिए आदेशित किया था।
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इन लोगों ने कहा कि आनंद को ' असभ्य व्यवहार ' के लिए गिरफ्तार किया गया है और हर इंसान की तरह सितारों सी हैसियत रखने वाले इस फैशन डिजाइनर को भी निर्दोष माना जाएगा जब तक कि कोर्ट में उनके गुनाह साबित नहीं हो जाते।
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एक तो वैश्वानर स्वभाव से ही क्रोधी था, ऊपर से गोविंद दत्त के पुत्रों का यह असभ्य व्यवहार, बस फिर क्या था, वैश्वानर क्रोधित होकर वहां से चल पड़ा | तब तक गोविंद दत्त भी आ गया था | उसने ब्राह्मण को क्रोध में लौटते देखा तो उसके क्रोध का कारण पूछा | कारण ज्ञात होने पर गोविंद दत्त उससे क्षमा-याचना करने लगा |
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होली के बारे में ही देखें, तो आजकल-जबरन चंदा वसूल करना, राह चलते लोगों और वाहन चालकों को रोककर पैसे ऐंठना, ज़बरदस्ती रंग लगाना, गुलाल का अत्यधिक उपयोग होलिका के निकट शराब अथवा भांग पीकर अश्लील नृत्य करना एक-दूसरे पर कीचड़ फेंकना, एक-दूसरे को गंदे पदार्थ अथवा डामर लगाना पानी के गुब्बारे मारना लड़कियों के साथ छेड़छाड़ तथा उनसे असभ्य व्यवहार करना, देवी-देवताओ के मुखौटे धारण कर पैसे मांगना पानी का अपव्यय करना जैसी घटनाएं आम हो गई है।
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यदि हमें अपने बच्चों को अशिष्ट, उद्दंड बनाना हो तो ही हमें असभ्य व्यवहार की आदत बनाए रहनी चाहिए अन्यथा औचित्य इसी में है कि आवेश, उत्तेजना, उबल पड़ना, क्रोध में तमतमा जाना, अशिष्ट वचन बोलना और असत्य व्यवहार करने का दोष अपने अंदर यदि स्वल्प मात्रा में हो तो भी उसे हटाने के लिए सख्ती के साथ अपने स्वभाव के साथ संघर्ष करें और तभी चैन लें, जब अपने में सज्जनता की प्रवृत्ति का समुचित समावेश हो जाए।