| 41. | ब्रूत धातृभवने अस्ति किं सुखं यद्रहः समवलम्ब्य न स्त्रियम।
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| 42. | हैं, वे भी, स्वरूपतः अस्ति-स्वरूप से विद्यमान
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| 43. | अस्ति अर्थात् है, जो ऐसा माने वह आस्तिक।
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| 44. | स्यात् अस्ति च नास्ति च अवक्तव्यम् ।
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| 45. | न तस्य प्रतिमा अस्ति यस्य नाम महद् यशः ॥१९॥
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| 46. | सारे विचार में अस्ति की दृ्ष्टि प्रधान रहती है.
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| 47. | स्वामीजी: अस्ति का संरक्षण. पु. तीन: नास्ति का अन्वेषण? भूख.
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| 48. | अस्ति “मन के हारे हार है मन के जीते जीत”।
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| 49. | कहते है अस्ति मुनी भी यहीं निवास किया करते थे।
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| 50. | उत्स्तनिम समवलम्ब्य या रतिः सा न धातृभवने अस्ति में मतिः।
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