ज्योतिषीय आधार पर भारत की लग्न कुंडली के स्वामी शुक्र का नीच राशिगत होना और बुध का अस्त होना यही मंहगाई की जड़ है।
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वर्तमान में दोनों ग्रह सूर्य के निकट होने के कारण प्रभावहीन हैं, जिसे शास्त्रों में गुरु एवं शुक्र के अस्त होना कहा जाता है।
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जैसे सूर्य का पूर्व से निकलना, पश्चिम में अस्त होना, मनुष्य का जन्म लेना और फिर मृत्यु को प्राप्त होना आदि आदि.
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वर्षों से गुलामी की जंजीर में जकड़े भारत देश के लिए स्वतंत्रता उस उगते सूरज के समान थी जिसने कभी अस्त होना नहीं जाना ।
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मीनार्क, गुरु तारा अस्त होना प्रमुख वजह ज्योतिषी डा. दत्तात्रेय ह ोस्क र के अनुसार होलाष्टक के कारण होली तक कोई शुभ कार्य नहीं होगा।
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आंसू दे गया मगही के अंतिम सूर्य का अस्त होना-प्रोफेसर साधु शरण सिंह सुमन (बिहार के वरिष्ठ साहित्यकार एवं भोजपुरी कवि, अणुव्रत आंदोलन से भी जुड़े।
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इसके अतिरिक्त ग्रहों का उदय होना, अस्त होना, वक्री या मार्गी होना, लग्न चर, स्थिर या द्विस्वभाव का होना आदि पर निर्भर करता है।
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6 जून को गुरु ग्रह का अस्त होना एवं मंगल का रोहिणी नक्षत्र पर आकर अभिजित नक्षत्र को वेधने लग जाना बाजारों में बदलाव देकर तेजी के रूख में मोड़ेगा।
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तिथियों में 1, 6, 11, 13, 14 तिथियां, त्रिपुष्कर योग, अधिमास, गुरु व शुक्र का अस्त होना और शुक्ल पक्ष का भी परित्याग करना चाहिए।
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प्राचीन मान्यतानुसार, सूर्य से भिन्न-भिन्न अंशों या दूरियों (डिग्री) पर या उसके भीतर भिन्न-भिन्न ग्रहों का अस्त होना, मार्गी एवं वक्री, दोनों ही अवस्थाओं में निम्न सारणीनुसार है।