हांलाकि इस बाबत जब कुछ पत्रकारों ने उन्हें यह याद दिलाया कि वे अब उत्तर प्रदेश पुलिस की एक अधिकारी हैं और उन्हें अब कोई भी बात सोच समझ कर और पुलिस आचरण नियमावली का पालने करते हुए कहनी चाहिए, लेकिन परवीन आजाद ने इस तरफ कत्तई तवज्जों नही दिया और वे अपनी रौ में कभी खुद को आम नागरिक तो कभी झांसी की रानी साबित करने की कोशिश में लगी रही।
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आयोग ने अपने अंतरिम आदेश में कार्मिक विभाग से कहा था कि वह तय करे कि जिस सेवा आचरण नियमावली के तहत आई. ए. एस. अफसरों की संपत्ति के ब्यौरे संरक्षित किए जाते हैं, वे सार्वजनिक दायरे में आते हैं या नहीं? अगर कार्मिक विभाग की राय में आचरण नियमावली के अंतर्गत चल-अचल संपत्ति के ब्यौरे व्यक्तिगत दायरे में आते हैं तो अफसरों को नोटिस जारी कर उनकी राय माँगी जाये।
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आयोग ने अपने अंतरिम आदेश में कार्मिक विभाग से कहा था कि वह तय करे कि जिस सेवा आचरण नियमावली के तहत आई. ए. एस. अफसरों की संपत्ति के ब्यौरे संरक्षित किए जाते हैं, वे सार्वजनिक दायरे में आते हैं या नहीं? अगर कार्मिक विभाग की राय में आचरण नियमावली के अंतर्गत चल-अचल संपत्ति के ब्यौरे व्यक्तिगत दायरे में आते हैं तो अफसरों को नोटिस जारी कर उनकी राय माँगी जाये।