प्रबोधनकाल के महान दार्शनिकों ने अन् धविश् वास, अन्याय, विशेषाधिकारों तथा अत्याचार की जगह शाश्वत सत्य, शाश्वत न्याय, स्वयं प्रकृति से उपजी समानता तथा मनुष्य के जन्मसिद्ध अधिकारों को केन्द्र में स्थापित करने वाले बुद्धि के जिस राज की बात की थी, वह बुर्जुआ वर्ग के राज का आदर्शीकरण मात्र था।
42.
-ऊंचे से ऊंचा कलाकार भी जब असलियत को, मनुष्य के यथार्थ को, अपनी संकुचित संवेदनाओं, ओछी पीड़ाओं और अहंग्रस्त भावनाओं का आदर्शीकरण करते हुए दुनिया को देखता है, तब लेखक के प्रतिभाशील होने के कारण उसका चित्रण-कार्य प्रभावशाली होते हुए भी, उस प्रभाव का गुण ऐसा न होगा जो मनुष्य के हृदय को पिघलाकर उसकी आत्मा को उन्नत बनाए।
43.
-ऊंचे से ऊंचा कलाकार भी जब असलियत को, मनुष्य के यथार्थ को, अपनी संकुचित संवेदनाओं, ओछी पीड़ाओं और अहंग्रस्त भावनाओं का आदर्शीकरण करते हुए दुनिया को देखता है, तब लेखक के प्रतिभाशील होने के कारण उसका चित्रण-कार्य प्रभावशाली होते हुए भी, उस प्रभाव का गुण ऐसा न होगा जो मनुष्य के हृदय को पिघलाकर उसकी आत्मा को उन्नत बनाए।
44.
20 जून 1756 को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला द्वारा नगर पर क़ब्ज़ा करने और ईस्ट इंडिया कंपनी की प्रतिरक्षक सेना द्वारा परिषद के एक सदस्य जॉन जेड हॉलवेल के नेतृत्व में समर्पण करने के बाद घटी घटना में नवाब ने शेष बचे यूरोपीय प्रतिरक्षकों को एक कोठरी में बंद कर दिया था, जिसमें अनेक बंदियों की मृत्यु हो गई थी, यह घटना भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के आदर्शीकरण का एक सनसनीखेज मुक़दमा और विवाद का विषय बनी।
45.
20 जून 1756 को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला द्वारा नगर पर क़ब्ज़ा करने और ईस्ट इंडिया कंपनी की प्रतिरक्षक सेना द्वारा परिषद के एक सदस्य जॉन जेड हॉलवेल के नेतृत्व में समर्पण करने के बाद घटी घटना में नवाब ने शेष बचे यूरोपीय प्रतिरक्षकों को एक कोठरी में बंद कर दिया था, जिसमें अनेक बंदियों की मृत्यु हो गई थी, यह घटना भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के आदर्शीकरण का एक सनसनीखेज मुक़दमा और विवाद का विषय बनी।
46.
इस चीज का, कांग्रेस के ग्रामीण लोकवाद की राजनीति का (जिसे शहरी साक्षर मुसलमान हिन्दुत्व और हिन्दू की राजनीति से जोड़ते थे), और हिन्दू-मुस्लिम एकता का जेनुइन पैरोकार होने के बावजूद, अपने सामाजिक आदर्शों को हिन्दू धर्म के मिथकों में प्रस्तुत करने तथा हिन्दू धर्म का आदर्शीकरण करने की गाँधी की लोकरंजकतावादी प्रवृत्ति का मुस्लिम साम्प्रदायिक नेताओं ने भरपूर इस्तेमाल किया और चौथे दशक के अन्त तक मुस्लिम लीग मुसलमानों के एक बड़े हिस्से को विश्वास दिलाने में सफल रही कि कांग्रेस मूलत: हिन्दुओं की पार्टी है।