' पल्लव ' काल की कल्पना-प्रचुरता हमें केवल एक रचना ' अप्सरी ' में मिलती है, जिसमें कवीन्द्र रवीन्द्र की ' उर्वशी ' की छाया स्पष्ट है परंतु जिसमें एक भिन्न कोटि की मायाविनी मानसी को मूर्त्तिमान किया गया है, जो आदिमकाल से मनुष्य की सौन्दर्य-चेतना को उकसाती रही है।
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शूर का यह शस्त्र, वीरों का सतत है मार्गदर्शक युवा का अभिमान, वृद्धों का सहारा अंगरक्षक विश्व का मनुजत्व आदिमकाल से तेरा ऋणी है सभी में सीमित है गुण, पर सब्र गुणों का तू धनी है बाँस भूमि-संरक्षण तथा भूमि पर सजावट के लिए अपना विशेष ही महत्व रखता है।