इसलिए कृषि रक्षा, दुर्गरक्षा, रोग निवारण, संततिलाभ, शत्रु विनाश, आयु वृद्धि आदि के हेतु मंत्र प्रयोग, जादू-टोना, मुहूर्त और मणि का भी प्रयोग प्रचलित था।
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जप से पूर्व कवच का पाठ भी किया जा सकता है, या नित्य पाठ करने से आयु वृद्धि के साथ रोग से छुटकारा मिलता है।
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हिन्दू सधवा महिलाएं पति की आयु वृद्धि के लिए यह व्रत सारे दिन रखती हैं और चाँद को देखने के बाद ही जल ग्रहण करती हैं।
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इसलिए महर्षि धनवन्तरि जी महाराज ने कहा ' ' ' आषोडशाद् वृद्धिः '' ' सोलह वर्ष से पच्चीस वर्ष तक की आयु वृद्धि अवस्था मानी जाती है ।
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अंत में 19 वे अवतारी लामा टी के लोछेन टुल्कू ने आम लोगों की आयु वृद्धि के लिए अभिषेक किया और प्राणी कल्याण और शांति का पाठ पढा।
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आयु वृद्धि के लिए दूर्वा से व शारीरिक बल-वीर्य वृद्धि के लिए बेंत की समिधाओं से तथा कन्या प्राप्ति के लिए धान के लावों से हवन करना चाहिए।
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सोते समय गृहस्वामी का सिर सदैव दक्षिण केी तरफ ही होना चाहिए इससे आयु वृद्धि होती है एवं गृह स्वामी का पूर्ण प्रभुत्व घर पर बना रहता है।
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मन्दिर में साधु-सन्तों व गुरुओं के चरण स्पर्श तथा आशीर्वाद के मनु आदि महर्षियों ने चार लाभ बताएं हैं-आयु वृद्धि, विद्यावृद्धि, यशवृद्धि और बलवृद्धि।
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शिमला 18 अक्टूबर आठवे अवतारी बौद्ध धर्म गुरू जिगमेद छोएकी सैंगे यूलज्ञल टुल्कू की आयु वृद्धि के लिए किन्नौर जिले के जंगी गांव में धार्मिक अनुष्ठान तंजुग किया गया।
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उन्होंने पूछा माता ये आप क्या कर रही हैं तो सीता नें कहा पुत्र मैं सिंदूर तुम्हारे स्वामी की रक्षा के लिए, उनकि आयु वृद्धि के लिए लगा रही हूँ।