इस उत्सव के निमंत्रण पत्र के तौर पर महंगे आर्ट पेपर पर बहुरंगी छपाई वाली पचास से ज्यादा पृष्ठों की मोटी बुकलेट में इस बात पर जोर दिया गया है कि भूमंडलीकरण के दौर में भारतीय साहित्य को अनुवाद के माध्यम से प्रतिष्ठित किए जाने की जरूरत है।
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उनका निजी पुस्तकालय है, जिसकी एक-एक पुस्तक पर सफ़ेद आर्ट पेपर से उन्होने अपने हाथ से जिल्द चढ़ाई हुई हैं व अपने हाथ से उस पर पुस्तक का नाम आदि लिखा करीने से सजा है, पूरा पुस्तकालय सफ़ेद रंग के सौम्य अनुशासन में मानो सरस्वती का स्वरूप धारे है।