यह उस रहस्य को बताता है कि सोवियत सरकार कैसे पुरानी शक्तियों को शिकस्त देने में कामयाब हुई और क्यों हमारे देश में वह आर्थिक नियम कि उत्पादन शक्तियों के चरित्र के अनुरूप उत्पादन सम्बन्ध अनिवार्य रूप से होना चाहिए, के परिचालक का पूर्ण सुयोग मिला।
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इस आर्थिक नियम पर भरोसा करके कि उत्पादन सम्बन्ध अनिवार्य रूप से उत्पादन शक्तियों के चरित्र के अनुरूप होना चाहिए, सोवियत सरकार ने इसका समाजीकरण कर दिया, इसे सम्पूर्ण जनता की सम्पत्ति बना दिया और इस तरह शोषण प्रणाली का अंत कर दिया और समाजवादी अर्थतंत्र का निर्माण किया।
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इस आर्थिक नियम पर भरोसा करके कि उत्पादन सम्बन्ध अनिवार्य रूप से उत्पादन शक्तियों के चरित्र के अनुरूप होना चाहिए, सोवियत सरकार ने इसका समाजीकरण कर दिया, इसे सम्पूर्ण जनता की सम्पत्ति बना दिया और इस तरह शोषण प्रणाली का अंत कर दिया और समाजवादी अर्थतंत्र का निर्माण किया।
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क्योंकि ' यूरो ' किसी एक सरकार के इच्छाओं और आवश्यकताओं के अनुसार न संचालित होकर कुछ ऐसे आर्थिक नियम कानूनों से संचालित होता है, जिनकी देख रेख और उनको लागू करने की जिम्मेदारी यूरोप के पैमाने पर कुछ बड़े बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा सामूहिक रूप से पूरी की जाती है।
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यह बात बिल्कुल सही है कि जब दुनिया का आर्थिक नियम ब्याज पर चलना शुरू हो जाता है तो उसकी तबाही यक़ीनी हो जाती है क्योंकि ब्याज मानव जीवन के लिए एडज़ के समान है जो उसकी देफाई क़ुव्वत को घुन लगा देता है और उसे संकट के गड्ढे में जा गिराता है।