संस्मरण• लखनऊ मेरा लखनऊ मनोहर श्याम जोशी• मैनपुरी का शहजादा कृष्णा सोबती • तारामंडल के नीचे एक आवारागर्द ज्ञानरंजन • फिराक वार्ता विश्वनाथ त्रिपाठी• पंडित श्रीलाल शुक्ल रवीन्द्र कालिया
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तंग आ चुका हूँ मैं इस लड़के रूपी लडखडाते हुए आवारागर्द ठप्पे से … ये भी क्या बात हुई कि … ना कोई आन-बान और शान … फिर भी..
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कल भी गुफ्तगू की गई थी की मेरे देश में मनाये जाने वाले कुछ त्योहारों पर अब आवारागर्द, बदमाश व् मनचले युवक अपनी मानसिकता को अंजाम देने लगे है.
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और, जीवन के बेरोजगार होने का दोष, सुधीर के आवारागर्द होने का क्रोध, रेखा का कहीं विवाह न हो पाने का आक्रोश, गाहे-बगाहे किसी-न-किसी रूप में सुनीता के ऊपर ही निकलता था।
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और, जीवन के बेरोजगार होने का दोष, सुधीर के आवारागर्द होने का क्रोध, रेखा का कहीं विवाह न हो पाने का आक्रोश, गाहे-बगाहे किसी-न-किसी रूप में सुनीता के ऊपर ही निकलता था।
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फिर माला ने मौका पाते ही मुझे अलग ले जा कर डाँटना-डपटना शुरू कर दिया था-मैं पूछती हूँ कि यह तुम किस आवारागर्द को पकड़ कर साथ ले आए हो? जरूर कोई तुम् हारा पुराना दोस् त होगा?
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इनकी यात्रा-वृतांत से जुड़ी कई सारी पुस्तकें हैं, जैसे कि “ आवारागर्द की डायरी ”, “ दुनिया गोल है ”, “ इब्न-ए-बतूता के ताक़ुब में ”, “ चलते हो तो चीन को चलिए ”, “ नगरी-नगरी फ़िरा मुसाफ़िर ” ।
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इस बस्ती के इक कूचे में-काव्य संग्रह चान्द नगर-काव्य संग्रह नगरी नगरी फिरा मुसाफिर-यात्रा संस्मरण आवारागर्द की डायरी-यात्रा संस्मरण खत इंशा जी के-पत्र संकलन उर्दू की आखिरी किताब-हास्य व्यंग्य इंशा जी का अंतकाल 11 जनवरी 1978 को हुआ।
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हमें यह अधिकार मिलना चाहिए, लेकिन जिस समाज में लड़की को पढ़ने, नौकरी करने, दिन में भी बिना छेड़े गए सड़क पर निकलने और अपनी मर्जी से एक अदद विवाह तक कर लेने की छूट न हो वहां लेस्बियन होने, रात बेरात आवारागर्द होने, खुलेआम सिगरेट पीने जैसे अधिकारों की वकालत करना क्या ठीक होगा।
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हमें यह अधिकार मिलना चाहिए, लेकिन जिस समाज में लड़की को पढ़ने, नौकरी करने, दिन में भी बिना छेड़े गए सड़क पर निकलने और अपनी मर्जी से एक अदद विवाह तक कर लेने की छूट न हो वहां लेस्बियन होने, रात बेरात आवारागर्द होने, खुलेआम सिगरेट पीने जैसे अधिकारों की वकालत करना क् या ठीक होगा।