दु: खों का मूल कारण अज्ञान में किए गए हमारे पाप कर्म ही हैं तथा इनसे निपटने का एक ही उपाय है-ईश्वर की आज्ञा में रहना ।
42.
कमल जी! स्वयंभू मनु का ही नाम आदम है और सनातन धर्म का नाम ही अरबी में इस्लाम है, जिसका अर्थ है ईश्वर की आज्ञा का पालन करना।
43.
ऐसे ही चाहे एक आदमी पूरे दिन ईश्वर की आज्ञा का उल्लंघन ही करता रहता हो लेकिन वह खुद को मुस्लिम कहता है तो समाज उसे मुस्लिम मान लेता है।
44.
@ कमल जी! स्वयंभू मनु का ही नाम आदम है और सनातन धर्म का नाम ही अरबी में इस्लाम है, जिसका अर्थ है ईश्वर की आज्ञा का पालन करना।
45.
ईश्वर में श्रद्धा रखो तथा जब परिस्थिति आ जाये तो अपना कर्तव्य निभाओं किन्तु अपने कर्म को ईश्वर की आज्ञा समझ कर करो जिस में निजि स्वार्थ कुछ नहीं होना चाहिये।
46.
ठीक उसी प्रकार किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा ईश्वर की आज्ञा का अनुपालन से, प्रकृति से नाजायज छेड़-छाड़ से होती हैं तो फिर उसका दोष ईश्वर को क्यूँ देना।
47.
यहूदियों का धर्मग्रन्थ तौरेत* के अनुसार मनुष्य जब ईश्वर की आज्ञा का उल्लंघन कर के पापी बन गया था तभी ईश्वर ने यह वचन दिया था कि वे एक मुक्तिदाता को भेजेंगे.
48.
अगर आप ईश्वर की आज्ञा पर चलते तो आप मानते कि सारी वसुधा एक परिवार है और इसका मुखिया केवल एक ईश्वर है तब आप सोचें कि यहाँ पराया कौन है?
49.
ईश्वरीय धर्म इस्लाम के अनुसार पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजन सर्व समर्थ व महान ईश्वर की आज्ञा से समस्त मनुष्यों के कर्मों के साक्षी और उनकी अंतरआत्मा से पूर्णरूप से अवगत हैं।
50.
मनुष्य भी जैसे ही प्रकृति से ईश्वर की आज्ञा के प्रतिकूल होकर उसे नष्ट करने लगता हैं वैसे ही प्रकृति बाढ़, भूस्खलन, अकाल आदि के रूप में अपना कोप प्रदर्शित करती हैं।