ईसाई जगत जिन युद्धों के लिए जिम्मेदार है, उनके सामने 'ओल्ड टेस्टामेंटल् और अन्य ऐतिहासिक या अर्ध-ऐतिहासिक अभिलेखों में वर्णित युद्ध भी फीके पड जाते हैं।
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अल्बर्ट गिल, धारीवाल(गुरदासपुर) प्रभु यीशु मसीह की माता मरियम को ईसाई जगत ही व नहीं पूरे विश्व में ममता की मूरत के रूप में देखा जाता है।
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7 वीं शताब्दी के प्रारंभ में मुस्लिम सेनाओं दक्षिणी भूमध्य के अधिकांश भागों को जीत लिया और इस तरह पश्चिमी ईसाई जगत के लिए खतरा उपस्थित हो गया.
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पर येस्सलम में भी, जहां ईसा का जन्म हुआ, एक बौद्घ विहार का होना कहा जाता है, जहां से यह विचार ईसाई जगत में फैला।
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पृष्ठ 145, उद्धरण: “दूत पियरे डी कैस्टलनाऊ की हत्या से पूरे ईसाई जगत में आतंक का एक रोमांच फैल गया जैसा कि अड़तीस साल पहले बेकेट की हत्या से फैला था.
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ईसाईयत ने अपने अनुयायियों को जीवन जीने की कला और ढंग सिखाया है उसके विषय में आज के ईसाई जगत की वर्तमान दशा को देख लेना मात्र ही पर्याप्त है।
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नाइसिया की प्रथम परिषद (325) से नाइसिया की द्वित्तीय परिषद (787) तक पहली सात सार्वभौम परिषदों ने एक परंपरागत सर्वसम्मति बनाने और एकीकृत ईसाई जगत की स्थापना करने की मांग की.
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नाइसिया की प्रथम परिषद (325) से नाइसिया की द्वित्तीय परिषद (787) तक पहली सात सार्वभौम परिषदों ने एक परंपरागत सर्वसम्मति बनाने और एकीकृत ईसाई जगत की स्थापना करने की मांग की.
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वंश प्रसिद्ध सौ साल के युद्ध, प्रथम निर्णायक कार्य है, जो ईसाई जगत में एक वज्र का प्रभाव था पैदा हुआ था, क्रेसी की लड़ाई, 26 अगस्त 1346 था. युद्ध...
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को ईसाई जगत के लिए अपहृत कर लिया गया और भारतीय पद्धति के अनुसार उन्होंने शिशु ईसा की ‘छठी ' का दिन १ जनवरी तथा ‘बरहों' ६ जनवरी को मनाना प्रारंभ किया।