फिर सब अलग दिशाओं में दौड़ लिए. उग्ररूप किरात कूप नगर की ओर जा रहा था.आज वह इतना तेज दौड़ रहा था जितना मृगया में भी कभी नहीं दौड़ा था.थोडी देर में वह नगराध्यक्ष को को सब बता रहा था.
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समुद्र केवल मानसून के समय उग्ररूप धारण करता है जो जून और सितम्बर के बीच पड़ता है किस प्रकार की छुट्टियों की आपने योजना बनाई है निर्भर करता है कि, आप निश्चिंत हो सकते हैं कि ये साधारण छुट्टियाँ नहीं हैं।
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चारों युवकों को नगराध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया गया. चार पांच सौ किरात अभी भी नगर पर घेरा डाले पहाडियों पर स्थित थे.उनका नेता उग्ररूप बंदी बनाया जा चुका था इसलिए हमला रोक दिया गया था.पर अगर बंदियों को नुक्सान पहुँचाया जाता तो हमला फिर किया जाना अवश्यंभावी था.
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चारों युवकों को नगराध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया गया. चार पांच सौ किरात अभी भी नगर पर घेरा डाले पहाडियों पर स्थित थे.उनका नेता उग्ररूप बंदी बनाया जा चुका था इसलिए हमला रोक दिया गया था.पर अगर बंदियों को नुक्सान पहुँचाया जाता तो हमला फिर किया जाना अवश्यंभावी था.
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हम जितने तेज पहुँच सके उतना अधिक समय मिलेगा. सब किरातों को उग्ररूप की तरफ से यह सूचना दें कि तुरुष्क आक्रमण से बचने के लिए सभी लोग जितना हो सके दूर वनों में चले जाएं.और अपने खाद्य भंडारों को आग लगा दें ताकि शत्रु इसका उपयोग न कर सकें.वन देवी हम सबकी रक्षा करे.”
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कई वर्षों बाद भद्र कूप के शिलालेख में वर्णित किया गया-किरात कूप नगर की तुरुष्कों से रक्षा करते हुए क्षत्रिय उग्ररूप के नेतृत्व में तीन सौ सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए. आज एक चबूतरे के ऊपर जिस पर शिला लेख को मूर्ति के रूप में स्थापित किया गया है की स्थानीय आदिवासी झुजार देवता के रूप में पूजा करते है.
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कई वर्षों बाद भद्र कूप के शिलालेख में वर्णित किया गया-किरात कूप नगर की तुरुष्कों से रक्षा करते हुए क्षत्रिय उग्ररूप के नेतृत्व में तीन सौ सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए. आज एक चबूतरे के ऊपर जिस पर शिला लेख को मूर्ति के रूप में स्थापित किया गया है की स्थानीय आदिवासी झुजार देवता के रूप में पूजा करते है.
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उस रात तीन सौ के लगभग सैनिको ने विशाल तुरुष्क सेना को अपने तीरों से रोके रखा. रात भर आक्र्न्ताओं के सैनिक और अश्व पानी के लिए तरसते रहे.सुबह होते होते उग्ररूप अतिरथ और नगर सेनापति सहित सभी रक्षक मारे गए.आक्रमण कारियों को नगर में कत्लेआम के लिये कोई जीवित नहीं मिला तो उन्होंने मंदिर की एक एक मूर्ती को तोड़ दिया.पूरे नगर का ध्वंस कर दिया.
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उस रात तीन सौ के लगभग सैनिको ने विशाल तुरुष्क सेना को अपने तीरों से रोके रखा. रात भर आक्र्न्ताओं के सैनिक और अश्व पानी के लिए तरसते रहे.सुबह होते होते उग्ररूप अतिरथ और नगर सेनापति सहित सभी रक्षक मारे गए.आक्रमण कारियों को नगर में कत्लेआम के लिये कोई जीवित नहीं मिला तो उन्होंने मंदिर की एक एक मूर्ती को तोड़ दिया.पूरे नगर का ध्वंस कर दिया.
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उग्ररूप और साथियों ने अश्वारोहियों को दूर से लोगों को हांकते हुए आते देखा तो वे वृक्षों की ओट में हो गए. और उसने देखा श्यामला सहित उसके गाँव की युवतियों को भाले की नोक पर बेरहमी से आगे धकेला जा रहा था.उसकी समझ में आ गया की सब कुछ तबाह हो चुका है.अब गाँव में न तो कोई जिन्दा बचा होगा और न कुछ शेष बचा होगा.उसके कई साथी अब तुरुष्कों के गुलाम थे.