प्रावधान (क) के तहत लोकपाल धमकी देने वाले या नुकसान पहुंचाने वाले सरकारी अधिकारी के विरुद्ध सुसंगत नियमों के तहत उचित दण्ड का आदेश निर्गत कर सकता है लेकिन प्रावधान (ख) के तहत निश्चित रूप से ऐसा करेगा.
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और यह अभिशाप जब तक हमारे साथ रहेगा जब तक मुझे लगता है कि इस पावन भूमि में हमें जब जो भी तकलीफ सहना पडे़ वह हमारे इस अपराध का, जिसे हम आज भी कर रहे हैं, उचित दण्ड होगी।
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प्रावधान (क) के तहत लोकपाल धमकी देने वाले या नुकसान पहुंचाने वाले सरकारी अधिकारी के विरुद्ध सुसंगत नियमों के तहत उचित दण्ड का आदेश निर्गत कर सकता है लेकिन प्रावधान (ख) के तहत निश्चित रूप से ऐसा करेगा.
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' भगवान् के आश्रय होने के कारण समुद्र ने आज ही मेरी प्रजा टिटि्टभ के अण्डों का अपहरण कर लिया है | यदि भगवान् उसको उचित दण्ड नहीं देते तो मैं उनकी दासता करने को तैयार हूं | मेरा यह दृढ निश्चय है | '
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' पिता, आचार्य, मित्र, माता, स्त्री, पुत्र और पुरोहित-इनमें से कोई भी यदि अपने धर्म के अनुसार न चले तो वह राजा के लिए अदण्ड्य नहीं हो सकता ; अर्थात राजा उसको उचित दण्ड दे ' * ।
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सुप्रीम कोर्ट ने जी. एन. रावजी उर्फ रामचन्द्र बनाम राजस्थान राज्य (1996 एआईआर 787) में कहा है कि अपराधिक अन्वीक्षण में अपराध की प्रवृति तथा गम्भीरता है, न कि अपराधी जिन पर उचित दण्ड पर विचारण का आधार निर्भर करता है।
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सु.: (हाथ जोड़ कर) महाराज! आपका क्या दोष है यह तो आपने मुझे उचित दण्ड दिया था, यह केवल मेरे यौवन का दोष था कि मैंने आपके यहां अनेक अपराध किए सो मैं हाथ जोड़कर मांगता हूं कि आप मुझे क्षमा करें।
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यद्यपि मेरा मानना है कि श्री वाल्मीकि रामायण में शम्बूक का प्रसंग सदियों बाद में उसमे कुटिलतापूर्वक घुसेड़ा गया था … … तथापि यदि धर्म की अनुचित व्याख्या करने वाला शम्बूक किसी ऐसे ही जे एन यू का प्रोडक्ट था तो कदाचित उसे उचित दण्ड ही मिला.
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यदि ऐसा उसने किया भी है तो प्रस्ताव को नकार दिए जाने अथवा स्वीकार कर लिए जाने के बाद अभियुक्त को दोषी या निर्दोष पाए जाने पर भी निर्णय को प्रभावित करने का प्रयास करने के मामले में अभियुक्त को सजा के बिन्दु पर सुना जा कर उचित दण्ड से दण्डित किया का प्रावधान दण्ड संहिता में किया जाना चाहिए।
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इस प्रकार कुंडली में अशुभ बुध से बनने वाला पित्र दोष जातक के पूर्व जन्म के अनेक प्रकार के ऐसे बुरे कर्मों के कारण बन सकता है जो जातक ने अपने पिछ्ले जीवन में किये हों, जो बुध की विशेषताओं को विपरीत रूप से प्रभावित करते हों तथा जिनके लिए जातक को पिछ्ले जन्म में उचित दण्ड न मिला हो।