उचित भाव न मिलना, कुछ रुढिवादे तौर तरीके खेती के, वैज्ञानिक उपकरणो का अभाव आज के कृषि व्यवसाय को कुन्द कर दिया है (खासकर पुर्वांचल और बिहार मे, जो हमने देखा है) जबकि यह वह क्षेत्र है जहा की मिट्टी बहुत ही उपजाउ है.
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स्थानीय आदान: कृषि क्षेत्र में स्थानीय आदान, सदाबहार आर्गेनिक खेती के साथ में स्वदेशी बायो टेक्नोलॉजी आधारित व अन्य आदान उचित भाव पर उपलब्ध कराने हेतु शासन प्राथमिकता के आधार पर व्यवस्था करता व कृषकों को मार्गदर्शन मिलता रहता तो कृषि घाटे का सौदा नहीं रहता व अन्नदाता संतुष्ट रहता।
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नियमानुसार टेंडर निकाले जाने से पहले व्यय अनुमान लिया जाता है और जितने की वस्तुबाजार में प्रचलित मूल्य की होती है उसी के आधार पर उसमें धरोहर राशि रखीजाती है इस प्रकार से यह सुनिश्चित हो जाता है की अनाप शनाप भाव नही आएंगे और उचित भाव पर खरीदारी कर ली जायेगी ।
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कार्यक्रम में मुख्य संसदीय सचिव श्री जिले राम शर्मा ने श्री दीपेन्द्र सिंह हुडडा का स्वागत करते हुए कहा कि हरियाणा प्रदेश आज हर क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ है चाहे वह किसानों की फसलों का उचित भाव देने की बात हो, खेल क्षेत्र में की गई घोषणाएं, गरीब बच्चों के लिये छात्रवृत्ति तथा गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की बात हो।
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उत्तर था-किस सरकार की बात करते हो भाई, जो किसान को अच्छा बीज और खाद भी मुफ्त में नहीं दे सकती है, बीजली का भारी बिल भरवाती है और समय पर बिजली भी नहीं देती है, रही बात फसल बेचने की तो इतनी समझ तो हम में भी आ गयी है कि खेत पर फसल नही बेचना है, उचित भाव बाजार में मिलने तक इन्तजार करना है।
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अर्थात् हम देखते हैं कि आरंभ में ईश्वर ने भी मनुष्य को साधना की ओर उन्मुख करने के लिए प्रथमतः स्थूल साधनों को अपनाने को कहा, जिससे उचित भाव की निर्मिति सहजता से संभव हो सके ; और भाव निर्मिति हो जाने के पश्चात् ईश्वर ने मनुष्य को क्रमशः अगली कक्षाओं में जाने के लिए तैयार किया और इसके लिए साधना-पद्धति को क्रमशः विकसित एवं सूक्ष्म किया ; और वेदान्त में यह सूक्ष्मता संभवतः अपने चरम पर थी।
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देवास में दो एस डी एम ने अभी अनूठे काम किये है सोनकच्छ के एस डी एम कालूसिंह सोलंकी ने एक महिला पटवारी से दुष्कृत्य करने की कोशिश की और कल देवास के एस डी एम प्रभात काबरा ने एक किसान जुगल प्रजापति को मंडी में सरे आम चांटा मार दिया जब वो अपनी सोयाबीन की फसल को उचित भाव पर बेचने की मांग कर रहा था बाद में किसानों के विरोध करने पर इन्ही प्रभात काबरा ने सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल बुलाकर किसानों को धमकाया.