| 41. | समस्त विश्व के प्रच्यविद्याप्रेमियों ने संस्कृत को जो प्रतिष्ठा और उच्चासन दिया है, उसके लिए भारत के संस्कृतप्रेमी सदा कृतज्ञ बने रहेंगे।
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| 42. | समस्त विश्व के प्रच्यविद्याप्रेमियों ने संस्कृत को जो प्रतिष्ठा और उच्चासन दिया है, उसके लिए भारत के संस्कृतप्रेमी सदा कृतज्ञ बने रहेंगे।
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| 43. | यह सुन कर जनकजी ने शुकदेव जी को उच्चासन पर बैठा कर उनका पूजन किया और दान रूप में उन्हें ब्रह्म-विद्या दी।
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| 44. | यह सुन कर जनकजी ने शुकदेव जी को उच्चासन पर बैठा कर उनका पूजन किया और दान रूप में उन्हें ब्रह्म-विद्या दी।
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| 45. | यह सुन कर जनकजी ने शुकदेव जी को उच्चासन पर बैठा कर उनका पूजन किया और दान रूप में उन्हें ब्रह्म-विद्या दी।
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| 46. | धर्म, विद्या, कल्याण व जीवन-मार्ग के केंद्र के रूप में इन मंदिरों को आरंभ काल से ही समाज में उच्चासन प्राप्त है।
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| 47. | आदरणीय सरिता जी, बहुत ही सुन्दर वात्यसल्य रस से सरावोर रचना, माँ को उच्चासन पर स्थापित करती हुई प्रस्तुति निश्चित ही सराहनीय है।
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| 48. | विश्वामित्र दशरथ के यहाँ जाते हैं, दशरथ द्वार तक जाते हैं, और ऋषि के चरण पखारते हैं, उच्चासन पर बिठाते हैं खुद नीचे बैठे हैं।
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| 49. | विश्वामित्र दशरथ के यहाँ जाते हैं, दशरथ द्वार तक जाते हैं, और ऋषि के चरण पखारते हैं, उच्चासन पर बिठाते हैं खुद नीचे बैठे हैं।
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| 50. | उसके बाद अर्ध्य, पाद्य तथा माला आदि से सूर्य के समान प्रकाशमान श्री शुकदेव जी की पूजा की और बैठने के लिये उच्चासन प्रदान किया।
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