| 41. | क्रोसन इस उपगण को 19 वंशसमूहों में बाँटते हैं जिनके अंतर्गत रखे जानेवाले वंशों की कुल संख्या 141 है।
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| 42. | यही नहीं, इस उपगण के प्राणियों के जीवाश्म (fossils) भी दक्षिणी अमरीका के आदिनूतन (Oligocene) युग में ही मिले हैं।
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| 43. | इस उपगण का चौथा महत्वपूर्ण वंश कैस्टॉरिडी (Castoridae) है, जिसके प्रतिनिधि ऊद अपने परिश्रम तथा जलचर प्रकृति के लिए प्रसिद्ध हैं।
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| 44. | इस उपगण को दो कुलों, चिपिटनासा (Platyrrhina), अर्थात् पाताल वानर, एवं अधोनासा अर्थात् पातालेतर वानर (लंगूर और मनुष्य), में विभाजित किया गया है।
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| 45. | दूसरे उपगण ऐपोक्रिटा (Apocrita) में उदर के अगले खंड अन्य खंडों की तुलना में बहुत पतले होते हैं और इस प्रकार कमर बन जाती है।
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| 46. | इसके उपगण ह्वेलबीन ह्वेल में दाँत का पूर्ण अभाव होता है और मुख के भीतर गले का छिद्र केवल कुछ इंचों के व्यास का होता है।
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| 47. | एशिया तथा अ्फ्रीका के ऊद और उत्तरी अमरीका के कतिपय भिन्न ऊदों के अतिरिक्त इस उपगण के शेष सभी कृंतक दक्षिणी अमरीका में ही सीमित हैं।
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| 48. | एशिया तथा अ्फ्रीका के ऊद और उत्तरी अमरीका के कतिपय भिन्न ऊदों के अतिरिक्त इस उपगण के शेष सभी कृंतक दक्षिणी अमरीका में ही सीमित हैं।
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| 49. | ६. क्रिसोवेलनॉइडी-गुठलीदार फल और एक अंडप रखने के कारण यह उपगण प्रूनाइडी के सदृश है, पर अधारीय वर्त्तिका, आरोही बीजांड तथा एक व्यास सममित (
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| 50. | इस उपगण के सभी नरवानर इस अर्थ में ' आद्य' कहलाते हैं कि इनमें कीटभक्षियों की विशेषताएँ-लंबा मुख, पाश्ववर्ती आँखें तथा क्षुद्र मस्तिष्क-पाई जाती हैं।
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