वैसे यदि कोई खद्दरधारी ग्राम में पहुंचकर उपदेश करना चाहे्गा तो तुरन्त जमींदार पुलिस में खबर होगी और यदि कस्बें के वैद्य, लड़के पढ़ाने वाले, कथा कहने वाले पंडित कोई बात कहें तो सब चुपचाप सुनकर उस पर अमल करने की कोशिश करते है और उन्हें कोई पूछता भी नहीं ।
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वैसे यदि कोई खद्दरधारी ग्राम में उपदेश करना चाहे तो तुरन्त ही जमींदार पुलिस में खबर कर दे और यदि कस्वे के वैद्य, लड़के पढ़ाने वाले अथवा कथा कहने वाले पण्डित कोई बात कहें तो सब चुपचाप सुनकर उस पर अमल करने की कौशिश करते हैं और उन्हें कोई पूछता भी नहीं ।
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वैसे यदि कोई खद्दरधारी ग्राम में उपदेश करना चाहे तो तुरन्त ही जमींदार पुलिस में खबर कर दे और यदि कस्वे के वैद्य, लड़के पढ़ाने वाले अथवा कथा कहने वाले पण्डित कोई बात कहें तो सब चुपचाप सुनकर उस पर अमल करने की कौशिश करते हैं और उन्हें कोई पूछता भी नहीं ।
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चूँकि ब्राह्मणों का काम धार्मिक ग्रन्थों का अध्ययन और उनका उपदेश करना होता था और वह स्वतन्त्र रूप से जीवन निर्वाह के लिये कोई कारोबार नहीं करते थे, इसलिये शिष्यगण उनकी आवश्यकता की पूर्ति के लिये धन, वस्त्र आदि के रूप में दक्षिणा दिया करते थे, जो आज तक प्रचलित है।
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(15) क्या यह अविद्या की बात न कही जाएगी कि सारे जगत को एक आदमी उस बात का उपदेश करे जिस पर न तो स्वयं उस को विश्वास हो और न ही उस पर आचरण करे जैसे कि उपरोक्त दुष् टों को क्षमा न करने का उपदेश करना और स्वयं लगातार क्षमा करते रहना?
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शान्ति पर्व में युद्ध की समाप्ति पर युधिष्ठिर का शोकाकुल होकर पश्चाताप करना, श्रीकृष्ण सहित सभी लोगों द्वारा उन्हें समझाना, युधिष्टिर का नगर प्रवेश और राज्याभिषेक, सबके साथ पितामह भीष्म के पास जाना, भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुति, भीष्म द्वारा युधिष्ठिर के प्रश्नों का उत्तर तथा उन्हें राजधर्म, आपद्धर्म और मोक्षधर्म का उपदेश करना आदि वर्णित है।
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शान्ति पर्व में युद्ध की समाप्ति पर युधिष्ठिर का शोकाकुल होकर पश्चाताप करना, श्रीकृष्ण सहित सभी लोगों द्वारा उन्हें समझाना, युधिष्टिर का नगर प्रवेश और राज्याभिषेक, सबके साथ पितामह भीष्म के पास जाना, भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुति, भीष्म द्वारा युधिष्ठिर के प्रश्नों का उत्तर तथा उन्हें राजधर्म, आपद्धर्म और मोक्षधर्म का उपदेश करना आदि वर्णित है।
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शान्ति पर्व में युद्ध की समाप्ति पर युधिष्ठिर का शोकाकुल होकर पश्चाताप करना, श्री कृष्ण सहित सभी लोगों द्वारा उन्हें समझाना, युधिष्ठिर का नगर प्रवेश और राज्याभिषेक, सबके साथ पितामह भीष्म के पास जाना, भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुति, भीष्म द्वारा युधिष्ठिर के प्रश्नों का उत्तर तथा उन्हें राजधर्म, आपद्धर्म और मोक्षधर्म का उपदेश करना आदि वर्णित है।