अनुमानित 21. 8 मिलियन(दस लाख)में अधिकतर ऑस्ट्रेलियाइ उपनिवेश काल के स्थापितो के वंशज है और यूरोप के उत्तर-संघीय अप्रवासी है, और करीब जनसँख्या का 90% यूरोपीय वंशज के है.पीढ़ियों से, उपनिवेशकालीन स्थापितों और उत्तर संघीय अप्रवासियों का विशाल जनसंख्या ब्रिटिश आइस्ल्स से केवल यहाँ आई और ऑस्ट्रेलियाई लोग अभी भी मुख्यतः ब्रिटिश या आयरिश एथिनिक उत्पति के है.
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सीमित संख्या में विशिष्ट माध्यमिक स्कूल जो कि उपनिवेश काल में इंग्लिश सार्वजनिक स्कूल मॉडल के आधार पर स्थापित किये गये थे तथा कई कैथोलिक स्कूल परम्परागत रूप से अपने नाम में कॉलेज लगाते हैं (जैसे कि रॉयल कॉलेज, आनंदा कॉलेज, सेन्ट जोसेफ कॉलेज), बावजूद इसके कि उनके पास प्राथमिक स्कूल से आगे के स्तर की कक्षायें होती है.
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पुलिस के उपनिवेश काल के पुलिस कानून राज्य और स्थानीय राजनेताओं को रोजमर्रा कार्यों में दखल देने का मौका देते हैं | कई बार पुलिस अधिकारियों को राजनीतिक सम्बन्ध रखने वाले लोगों के विरुद्ध विवेचनाएँ बंद करने जिनमें ज्ञात अपराधी होते हैं तथा अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशान करना भी होता है | इन तौर तरीकों से जनता का विश्वाश कम हो जाता है |
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आज़ादी से पहले के बदलते भारत की तस्वीर उकेरते अनेक कथानक प्रेमचंद, यशपाल, अमृतलाल नागर और भगवती चरण वर्मा जैसे ख्यात लेखकों ने लिखे हैं, मगर अठारहवीं सदी के भारत का चेहरा मैयादास की माड़ी में उभरता है जिसमें उपनिवेश काल है, ब्रिटिश साम्राज्यशाही का लोलुप चरित्र है, अतीत में डूबा और परम्पराओं में जकड़ा समाज है जिसके लिए जीवन का अर्थ सुबह से शाम हो जाने जितना ही सहज और सामान्य है।
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बाकी चिन्तक जो उपनिवेश काल में भक्ति और जाति पर विचार कर रहे थे वो तो खैर गैर ऐतिहासिक और ‘ औपनिवेशिक-ज्ञानकाण्ड ' की तैयारी में थे, परन्तु क्रुक की बातें रोज़मर्रा की वास्तविकता को देख रही थी. इसलिए “ ‘ निम्न ' जातियों के वैष्णव पंथों की विशेषता विलियम क्रुक ने बिलकुल ठीक पहचानी थी-“ ब्राह्मणों के वर्चस्व और विशेषाधिकारों का विरोध करते हुए, सार्वजनिक उपासना के पवित्रतर और अधिक बौद्धिक रूपों की प्रतिष्ठा ”.