सुख का विरोधी दुःख, दिन का विरोधी रात, सत्य का विरोधी असत्य, ग्रहण का विरोधी त्याग, आदि का विरोधी अन्त आदि-आदि सांसारिक वस्तुएं जड़ और चेतन तथा गुण और दोष आदि दो वस्तुओं और दो पद्धतियों जो आपस में विरोधी स्वभाव वाली होने के कारण द्विपक्षीय अथवा उभयपक्षीय होती हैं, परन्तु सांसारिकता से ऊपर उठकर ‘ विचार के क्षेत्र ' में अपने शरीर को रख देने पर उभयपक्षीय गुण-स्वभाव समाप्त हो जाता है।
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सुख का विरोधी दुःख, दिन का विरोधी रात, सत्य का विरोधी असत्य, ग्रहण का विरोधी त्याग, आदि का विरोधी अन्त आदि-आदि सांसारिक वस्तुएं जड़ और चेतन तथा गुण और दोष आदि दो वस्तुओं और दो पद्धतियों जो आपस में विरोधी स्वभाव वाली होने के कारण द्विपक्षीय अथवा उभयपक्षीय होती हैं, परन्तु सांसारिकता से ऊपर उठकर ‘ विचार के क्षेत्र ' में अपने शरीर को रख देने पर उभयपक्षीय गुण-स्वभाव समाप्त हो जाता है।