इस कला का प्रथम सिद्धांत यह है कि जैसे ही नमूना प्राप्त हो, ताजी और स्वच्छ अवस्था में ही उसकी खाल इस प्रकार उतार ली जाय कि यदि मछली या उरग हो तो शल्क (
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बहुत पूर्व ऐसा विश्वास किया जाता था कि जिस प्रकार कुछ स्तनपायी और उरग शरद ऋतु में ठंढ से बचने के लिए शीत निष्क्रियता (hibernation) में चले जाते हैं, उसी भाँति अबाबील, कलविंकक (nightingale) और कोयल भी शीतशयन करती है।
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इस कला का प्रथम सिद्धांत यह है कि जैसे ही नमूना प्राप्त हो, ताजी और स्वच्छ अवस्था में ही उसकी खाल इस प्रकार उतार ली जाय कि यदि मछली या उरग हो तो शल्क (Scales), चिड़ियाँ हों तो पर और स्तनी प्राणी हों तो बाल या कोमल लोम किसी प्रकार क्षतिग्रस्त न होने पाएँ।