उपर्युक्त उच्चशक्ति ऋजुकारी में या तो अनेक धनाग्रों (एनोड) के लिए एक ही ऋणाग्र रहता है या अनेक धनाग्र ऋजुकारी, जिनके ऋणाग्र जुड़े रहते हैं, प्रयोग में लाए जाते हैं।
42.
त्रिध्रुवी की अपेक्षा धनाग्र इलेक्ट्रान बहाव के नियत्रंण में कम सुचेतन होता है, क्योंकि आवरण ग्रिड धनाग्र की अपेक्षा ऋणाग्र के अधिक पास होने के कारण अधिक प्रभावशाली होता है।
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उपर्युक्त उच्चशक्ति ऋजुकारी में या तो अनेक धनाग्रों (एनोड) के लिए एक ही ऋणाग्र रहता है या अनेक धनाग्र ऋजुकारी, जिनके ऋणाग्र जुड़े रहते हैं, प्रयोग में लाए जाते हैं।
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उपर्युक्त उच्चशक्ति ऋजुकारी में या तो अनेक धनाग्रों (एनोड) के लिए एक ही ऋणाग्र रहता है या अनेक धनाग्र ऋजुकारी, जिनके ऋणाग्र जुड़े रहते हैं, प्रयोग में लाए जाते हैं।
45.
इस तृतीय ध्रुव की अनुपस्थिति में, जैसा पहले बताया जा चुका है, नली में तापायनिक धारा तभी प्रवाहित होती है जब धनाग्र ऋणाग्र की अपेक्षा धन विभव पर होता है।
46.
समीकरण (2) के अनुसार एक्सरे का जो तरंगदैर्घ्य प्राप्त होता है वह केवल इस अनुमान पर आधारित है कि ऋणाग्र से धनाग्र तक पहुँचने में इलेक्ट्रान को प्राप्त ऊर्जा (
47.
ऋणाग्र किरण नलियों (कैथोड रे टयूब्स) में इलेक्ट्रान पुंज का प्रयोग प्रकाश उत्पन्न करने में होता है और इस प्रकार वैद्युत शक्ति से दृष्टि संबंधी (विज्हुअल) परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
48.
उनको शीत ऋणाग्र नलियाँ (कोल्ड कैथोड टयूब) कहते हैं, उदाहरण के लिए गैस फोटो नली (गैस फोटो टयूब), विभव नियंत्रक नली (वोल्टेज रेग्यूलेटर ट्यूब) इत्यादि का उल्लेख किया जा सकता है।
49.
धनाग्र में प्रवेश करते समय ऋणाग्र से आनेवाले इलेक्ट्रानों तथा धनाग्र के आंतर इलेक्ट्रानों में अनेक संघात होते हैं और प्रत्येक संघात में बाह्य इलेक्ट्रानों की ऊर्जा कम होती जाती है।
50.
दाब के अत्यंत अल्प हो जाने पर इलेक्ट्रानों से संघात होने के लिए पर्याप्त अणु नहीं रहते ; अत: इलेक्ट्रान ऋणाग्र से निकलकर अपनी संपूर्ण ऊर्जा से धनाग्र से सीधे टकराते हैं।