अगर उन्हें उनके अनुभव के विपरीत रूप में उनकी इच्छानुसार एक सुशिक्षित, विवेकपूर्ण, संवेदनशील पुरुष का साथ मिल जाए तो वे ‘ एक से भले दो ' की कहावत को हमेशा सत्य मानेंगी.
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गुरू समीरानंद बोले-ताऊ चिंता मत कर, मैं भी पाताल लोक जाकर इस में फ़ंस गया हूं. खैर.... एक से भले दो....अब बाबागिरी अगले जन्म में करेंगे, इस जन्म में तो ब्लागरी से ही काम चलाना पडेगा..
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तो अरविन्द अन्ना को खड़ा आगे कर बाबा को लांचिंग पैड बनाया, और अन्ना हजारे को लांच कराया, उस समय तक बाबा भी शायद पूरी बात नहीं समझ पाए थे, उन्होंने सोचा काम देश का है तो एक से भले दो...
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बस फिर क्या था | एक से भले दो! हम दोनों ने मिलकर सारे कार्यक्रम को ऐसे बांटा की पता ही नहीं चला कब चार घंटे बीत गए | बच्चों के दो गीत / नृत्य होते, तत्पश्चात दो कवि या कवयात्रियों को बुलाया जाता....
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अकेला चना भांड नहीं फोड़ता या एक से भले दो! इस बिना पर मित्रता का जन्म होता है.व्यक्ती जानता है कि अकेलापन अभिशाप है और दूसरों का साथ वरदान! वह मित्रों पर भरोसा करता है और भरोसे के एवाज़ में अपेक्षित व्यवहार चाहता है.
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कहावत है: अकेला चना भांड नहीं फोड़ता या एक से भले दो! इस बिना पर मित्रता का जन्म होता है.व्यक्ती जानता है कि अकेलापन अभिशाप है और दूसरों का साथ वरदान! वह मित्रों पर भरोसा करता है और भरोसे के एवाज़ में अपेक्षित व्यवहार चाहता है.
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मुनव्वर भाई जब आनंद के गांव जाने लगे तो कहने लगे, ‘ एक से भले दो! ' ‘ मतलब? ' ‘ अगर आप की इजाज़त हो तो कोई एक संजीदा सहयोगी साथ में आप के गांव लेता जाऊं? ' ‘ यह आप के विवेक पर है।
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कहने की ज़रूरत तो नहीं कि जिसने इतना बड़ा ' त्याग ' कर दिया जनता की ' सेवा ' के लिए, वो ' देवी ' कैसी होगी! ' राज ' तो ' देवी-देवता ' को मिल कर ही करना है, एक से भले दो, अगर एक से बढ़कर एक हों तो!
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दिग्विजय सिंह! एक और सिंह आजकल आवारा श्वान की तरह भटक रहे हैं स्वामिभक्ति में ये भी किसी स्वान से या तुमसे कम नहीं हैं इनकी भी सिफारिश करो न, एक से भले दो होते हैं, अकेले की तरफ किसी का भी ध्यान कम जाता है जब दो हो जाओगे तो स्वामी भक्ति भी अधिक होगी सेवा भी अधिक होगी ।
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सच कहूँ मैने हक़ से कभी खुद से खुद की खुशी नहीं मांगी तुम् हारे सवालों का जवाब क् या मांगती हर बार की तरह इस बार भी सब कुछ छोड़ दिया तुम् हारी चाहत पर तुम् हारे यक़ीन पर अपने यक़ीन की मुहर लगा सोचती हूँ एक से भले दो बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि ले संभव तो नहीं होता पर एक रास् ता एक किरण जो अंधेरे को चीरती है उसे भी बड़ी शिद्दत से इंतजार होता है भोर का...