| 41. | लिथार्ज को ऐसीटिक अम्ल में घुलाकर गरम कर विलयन को संतृप्त बनाकर ठंडा करने से लेड ऐसीटेड के क्रिस्टल प्राप्त होते हैं।
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| 42. | विष यदि प्रबल क्षार है, तो उसका प्रतिकार मृदु अम्लों, तनु ऐसीटिक अम्ल, सिरका, नीबू के रस से किया जा सकता है।
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| 43. | किसी भी शर्करायुक्त विलयन के मदिराकरण के अनंतर ऐसीटिक (अम्लीय) किण्वन (acetic fermentation) से सिरका या चुक्र (Vinegar, विनिगर) प्राप्त होता है।
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| 44. | सामान्य ताप पर ऐसीटिक अम्ल के मणिभीकरण से ऐल्फा रूप और पिरिडिन के विलियन के मणिभीकरण से बीटा रूप प्राप्त होता है।
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| 45. | सामान्य ताप पर ऐसीटिक अम्ल के मणिभीकरण से ऐल्फा रूप और पिरिडिन के विलियन के मणिभीकरण से बीटा रूप प्राप्त होता है।
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| 46. | उदाहरणार्थ, एथिल ऐसिटेट के जलविच्छेदन में जो ऐसीटिक अम्ल प्राप्त होता है, वही एस्टर के जलविच्छेदन की क्रिया को उत्प्रेरित करता है।
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| 47. | उदाहरणार्थ, एथिल ऐसिटेट के जलविच्छेदन में जो ऐसीटिक अम्ल प्राप्त होता है, वही एस्टर के जलविच्छेदन की क्रिया को उत्प्रेरित करता है।
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| 48. | ऐसीटिक अम्ल तथा मेथिल ऐल्कोहल के अधिक उत्पादन के लिए पर्णपाती (पतझड़वाले) वृक्षों की लकड़ी को प्राथमिकता दी जाती है।
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| 49. | सामान्य ताप पर ऐसीटिक अम्ल के मणिभीकरण से ऐल्फा रूप और पिरिडिन के विलियन के मणिभीकरण से बीटा रूप प्राप्त होता है।
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| 50. | क्षारीय विष-सिरका, नीबूरस, बहुत तनु ऐसीटिक अम्ल (2 से 3%) तथा शामक द्रव, जैसे तेल, घी, दूध मलाई आदि, का सेवन।
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