औषधि की इस प्रकृति के साथ अगर टी. बी. रोग के लक्षण भी ऐसे हो तो रोगी को यह औषधि देना बहुत अच्छा रहता है।
42.
मासिकस्राव का समय से पहले और बहुत ज्यादा मात्रा में आना जैसे लक्षणों में रोगी स्त्री को सेनेशियो औरियस औषधि देना बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
43.
मुंह से सम्बंधित लक्षण-रोगी की जीभ में किनारों पर किसी तरह के जख्म हो जाने जैसे लक्षणों में रोगी को सैंगुनेरिया नाइट्रिका औषधि देना लाभकारी रहता है।
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रोगी के गले के अन्दर के भाग में जख्म हो जाने के कारण परेशानी सी होना आदि लक्षणों में रोगी को वर्बेस्कम औषधि देना बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
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ठण्ड लगने पर बच्चों को पेशाब कराने पर वे रोते हैं और उन्हें बेचैनी हो रही हो तो इस प्रकार के लक्षणो में रोगी को ऐकोनाइटम नैपेल्लस औषधि देना चाहिए।
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जबकि रोगी को प्यास तो तेज लग रही हो और फिर भी वह बहुत देर के बाद अधिक मात्रा में पानी पी रहा हो तो ऐसे रोगी को ब्रायोनिया औषधि देना चाहिए।
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रोगी को अचानक बहुत तेज दमा का दौरा उठना, मध्यच्छद की आक्षेपिक गतियां आदि लक्षणों के रोगी में नज़र आने पर रोगी को वैलेरियाना औषधि देना बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
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आमाशय से सम्बंधित लक्षण-भोजन करने के तुरन्त बाद ही उल्टी हो जाना, बार-बार तेजी से प्यास का लगना, हिचकी का बार-बार आना आदि लक्षणों में रोगी को काली ब्रोमैटम औषधि देना बहुत उपयोगी होता है।
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फेफड़ों में खून जमा हो जाने के कारण सूजन आ जाना, सांस की नली और दिल के रोगों के कारण दमा होना जैसे लक्षणों में रोगी को स्ट्रोफैन्थस हिस्पिडस औषधि देना बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
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आमाशय से सम्बंधित लक्षण-रोगी को लगातार उल्टियां होते रहना जिनमें रोगी के भोजन करने से आराम आता है, रोगी को भूख न लगना आदि लक्षणों में रोगी को वाइबर्नम ओपूलस औषधि देना बहुत उपयोगी साबित होता है।