अर्थात्-वृक्षों की भी मानव शरीर के समान निम्न अनुभव निश्चित होते हैं-जीवन, मरण, स्वप्न, जागरण, रोग, औषधि प्रयोग, बीज, सजातीय अनुबन्ध, अनुकूल वस्तु स्वीकार व प्रतिकूल वस्तु का अस्वीकार।
42.
किसी रोग में ब्रायोनिया एल्ब औषधि प्रयोग करने के बाद इस औषधि के कुछ लक्षण बहुत समय बाद प्रकट होते हैं जैसे-भोजन खराब होने के कारण तथा सर्दियों के बाद गर्मी का मौसम आने पर अचानक पेट खराब हो जाना।
43.
औषधि प्रयोग-उलटी-अदरक व प्याज का रस समान मात्रा में मिलाकर 3-3 घंटे के अंतर से 1-1 चम्मच लेने से अथवा अदरक के रस में मिश्री में मिलाकर पीने से उलटी होना व जी मिचलाना बन्द होता है ।
44.
रस-टॉक्स औषधि से जो लक्षण दूर होते हैं उन लक्षणों में रूटा औषधि भी प्रयोग कि जा सकती है लेकिन रूटा औषधि प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि साइटिका का दर्द नर्व से बाहर न जाकर नर्व के अन्दर शरीर के भीतर विभिन्न अंगों तक फैलता हो।
45.
इम्प्लांट सर्जरी को एक आउटपेशेंट के रूप में सामान्य संज्ञाहरण, मौखिक जागरूक दर्दनाशक औषधि प्रयोग, नाइट्रस ऑक्साइड दर्दनाशक औषधि प्रयोग, नसों के भीतर दर्दनाशक औषधि प्रयोग या जनरल डेंटिस्ट, ओरल सर्जन, पेरियोडोंटिस्ट, और प्रोस्थोडोंटिस्ट सहित प्रशिक्षित और प्रमाणित क्लिनिशियनों द्वारा स्थानीय संज्ञाहरण के तहत किया जा सकता है.
46.
इम्प्लांट सर्जरी को एक आउटपेशेंट के रूप में सामान्य संज्ञाहरण, मौखिक जागरूक दर्दनाशक औषधि प्रयोग, नाइट्रस ऑक्साइड दर्दनाशक औषधि प्रयोग, नसों के भीतर दर्दनाशक औषधि प्रयोग या जनरल डेंटिस्ट, ओरल सर्जन, पेरियोडोंटिस्ट, और प्रोस्थोडोंटिस्ट सहित प्रशिक्षित और प्रमाणित क्लिनिशियनों द्वारा स्थानीय संज्ञाहरण के तहत किया जा सकता है.
47.
शरीर के बाहरी अंगों से सम्बंधित लक्षण-कलाई में तेज दर्द होना, हाथों पर दाद से निकलना, पैरों का ठण्डा पड़ जाना, जनेन्द्रियों पर जख्म और उसके आसपास के हिस्सों में सख्त सी सूजन आ जाना आदि लक्षण नज़र आने पर रोगी को सिस्टस कैनाडेंसिस औषधि प्रयोग कराने से लाभ मिलता है।
48.
गुर्दा से सम्बंधित लक्षण: बचपन से जवानी में कदम रखने वाले व्यक्तियों को होने वाले गुर्दे के रोग, गुर्दे के आधे हिस्से में किसी रोग का हो जाना, गुर्दे के ऊपर के एक तिहाई भाग में किसी तरह का रोग हो जाना आदि लक्षणों में रोगी को कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि प्रयोग कराने से आराम आता है।
49.
सांस से सम्बंधित लक्षण-स्नायविक आवाज की खराबी होने के कारण हृदय-यंत्र की विश्रृंखलताएं, गले के अन्दर तक जलन सी महसूस होना, सांस लेने की क्रिया आक्षेपिक, आवाज की नली और छाती का सिकुड़ जाना, गले में खराश होना, बाएं तरफ के फेफड़ों में दर्द होना जो पाचनसंस्थान तक फैल जाता है, सांस लेने में परेशानी होना आदि लक्षणों में रोगी को आक्जैलिकम एसिडम औषधि प्रयोग कराने से लाभ मिलता है।