हो सकता है कि आदिकाव्य (रामायण) के मुंड-विहीन उस अभिशप्त राक्षस (कबंध) की तरह आगे चलकर तुम भी किसी अवतारी महामानव की प्रतीक्षा में सदियों तक यों ही डोलते फिरो!
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हम जैसे बिना चेहरे के कबंध अछूत शरणार्थी के जीने मरने का क्या? गनीमत है कि हम केथी में मरे कपे नहीं और जैसे भी हों प्रभाष जोशी की कृपा से जनसत्ता में आ गये।
43.
सिरहाने मेरे ही मेरे ही कंधों चढ धांगता है मुझे ही समय का सर्वग्रासी कबंध कि पुकार मेरे भीतर की तोडती है दम मेरे भीतर ही डांसती है रात कि शिथिलगात मेरे दलकते जाते हैं दलकते जाते हैं...
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कभी आकाश में सात सूर्य एक साथ उदित होते हैं मुंड और कबंध की तरह राहु और केतु कभी जुड़ते कभी अलग दीखते हैं चन्द्र के लुप्त होने पर कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष कब परिवर्तित होते हैं ज्ञात नहीं होता
45.
यामिनी के अंचल में कलाधर की कोर है कि, राहू के कबंध पै कराल केतु तारा है? ' शंकर ' कसौटी पर कंचन की लीक है कि, तेज ने तिमिर के हिए में तीर मारा है?
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कभी आकाश में सात सूर्य एक साथ उदित होते हैं राहु और केतु मुंड और कबंध की तरह कभी जुड़ते कभी विलग दीखते हैं लोप हो चुका है चन्द्र का कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष कब परिवर्तित होते हैं ज्ञात नहीं होता
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ग्राहम चुनें नियाग्रा पर बुक पर $ 49 सूर्य शुक्र के लिए होटल फॉल्स और कबंध के लिए 45 डॉलर डिनर वाउचर, नियाग्रा चुनें नियाग्रा पर बुक पर $ 49 सूर्य शुक्र के लिए होटल फॉल्स और 45 डॉलर डिनर
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इनका सर कटा हुआ है और इनके कबंध से रक्त की तीन धाराएं प्रवाहित हो रही हैं जिसमें से दो धाराएं उनकी सहचरियां और एक धारा देवी स्वयं पान कर रही हैं इनकी तीन आंखें हैं और ये मदन और रति पर आसीन हैं।
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इनमें से काली के शिव हैं महाकाल, तारा के शिव अक्षोभ्य, षोडशी के पंचवक्त्र, भुवनेश्वरी के त्रयंबक, छिन्नमस्ता के कबंध, भैरवी के दक्षिणामूर्ति, बगलामुखी के एक मुख महारुद्र, मातंगी के मतंग और कमला के सदाशिव श्री विष्णु हैं।
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कबंध का वध: पक्षिराज जटायु को जलांजलि दे कर राम और लक्ष्मण सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर चले क्योंकि अब उनको यह तो ज्ञात हो ही चुका था कि लंका का राजा रावण सीता को इसी दिशा में ले कर गया है।