प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर फुफ्फुस प्रदाह, टीबी, क्षय रोग, कर्क रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं और मरीज़ की मृत्यु भी हो सकती है।
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प्रश्न: प्रिय गुरु जी मैं धन्य हूँ कि मैं आपके साथ हूँ और मेरे स्तन का कर्क रोग भी आरोग्य हो रहा है जिसका निदान पिछले वर्ष हुआ था | क्या आप मुझे और हम सबको बता सकते हैं कि क्या रोग से कुछ सीखा जा सकता है?
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जिसके कारण इसके दूध का रंग पीला होता है, केवल गाय के दूध मे ही विटामिन “ ए ” होता है और अपनी अन्य खूबियों की वजह से यह शरीर मे उत्पन्न विष को समाप्त कर सकता है, एवं कर्क रोग (कैंसर) की कोशिकाओ को भी समाप्त करता है
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कर्नाटक के श्री व्यंकटेश गुरूनायक ने गुलबर्गा में वि. हि. प. के माध्यम से सेवा का प्रभावी कार्य प्रारम्भ किया, अपने प्रसन्न व्यक्तित्व से अनेक गणमान्य व्यक्तियों को कार्य से जोड़ने में वे सफल रहे, किन्तु कर्क रोग से संघर्ष करते हुए, उन्होंने भी हमसे विदा ले ली ।
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प्रश्न: गुरूजी मेरी एक चाची कर्क रोग (कैंसर) से पीड़ित है और उनकी कीमोथेरापी चिकित्सा चालू है | और अब कीमोथेरापी के कारण उनकी ह्रदय की मांसपेशियां बहुत कमजोर हो गयी है | क्या इस अवस्था में वे लंबी सुदर्शन क्रिया कर सकती है? श्री श्री रवि शंकर: नहीं!!
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तुमने सिगरेट के डब्बे पे लिखा कि इसको से पीने से कर्क रोग होता है … जान जा सकती है … ज़रा बताओ कितनी कमी आ गई धुम्रपान में ….????? अरे मरने से डरता कौन है यहाँ ……?????? और ये फंसी देना और सजा देना कोई नई बात नहीं है ….
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1972 में गुरुजी पर कर्क रोग की शस्त्रक्रिया होने के बाद, एक दिन एक विदेशी महिला पत्रकार ने, मुझे पूछा था (उस समय मैं तरुण भारत का मुख्य संपादक था) ‘ Who after Golwalkar … ', मैंने कहा, ऐसे आधा दर्जन लोग तो हो ं गे ही! उसे आश् चर्य हुआ।
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जब कर्क रोग की गांठ को काटते हैं, तब तो मृत कोशिकाएँ होती हैं, उन्हें काटने पर तो वेदना नहीं होती, किन्तु जब जीवित कोशिकाओं से शल्य स्पर्श करता है, तब वेदना से मुँह से सिसकारी या चीख निकलती है या मूर्च्छावस्था में शरीर में हलचल होती है जिससे चिकित्सकों को ज्ञात हो जाता है कि वहाँ जीवित कोशिका है।
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♦ विनीत कुमार बायें से विनीत कुमार, अनुभव सिन् हा, आनंद एल राय, उदय प्रकाश, रघुवेंद्र सिंह और अजय ब्रह्मात् मज सिनेमा आपको बिल्कुल एक दूसरी दुनिया में ले जा रहा होता है, तभी बीच में पट्टी चलानी पड़ जाती है-धूम्रपान से कर्क रोग होता है, सिगरेट का सेवन स्वास्थ्य के लिए जानलेवा है … और
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स्रोत हो तुम प्राथमिक आहार का, क्यों बनो तुम ग्रास कर्के-रोग का? (कर्क रोग बोले तो कैंसर,मुम्बैया में मराठी में कैंसर को कर्क रोग ही कहा जा रहा है)रौनकें आयद सभी तुमसे यहाँ,आंच हो जिस वक्ष में नासूर क्यों?आईने के सामने तुम आइए,वक्ष के अर्बुद से न घबराइए.राह है आसान अब हर रोग की,वक्त से बस बा-खबर हो जाईये.सतीश जी आपने बहुत सार्थक गीत लिखा है और देखिए हमसे भी कुछ लिखवा लिया आपके इस रागात्मक संचारी गीत ने.आभार.