क़सम खाना उस समय यानि आज से लगभग 1430 वर्ष पूर्व भी अरब में बेहद पसंद किया जाता था, कुरआन उस स् थान की भाषा में आ रहा था तो उनके रिवाज का खयाल रखा गया, आज यह पूरे विश् व का रिवाज, आदत बन चुकी है, यहां तक की कोर्ट में क़सम खाये बगैर आपकी बात नहीं सुनी जायेगी, यकीं और विश् वास को बढाने के लिए अपनी प् यारी चीज की कसम खाना विश् वास को बढा देता है,