| 41. | मसि कागद छूवो नहीं, क़लम गही नहिं हाथ.
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| 42. | हाथ में मेरे क़लम है सामने मेरे दवात
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| 43. | मेरे क़लम पे ज़माने की गर्द ऐसी थी
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| 44. | मालवीयजी की क़लम भला तुच्छ हो सकती है।
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| 45. | सुनाती सियाही क़लम की जुबानी …. स्वयं
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| 46. | गुज़र जाऊँगा दुनिया से क़लम ये ठहर जायेगी
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| 47. | बंदूक़ क़लम से ज़्यादा प्यारी हो जाती है.
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| 48. | क़लम वही है जिसे चीरा लगाया जाए ।
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| 49. | मेरा क़लम तो ज़मानत मेरे ज़मीर की है॥
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| 50. | वो लिखते सिर्फ ‘माउन्ड ब्लान्क ' क़लम से हैं।
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