| 41. | वे भी जानदार शय हैं कोई लोहा, काँसा नहीं कि अपनी मर्जी से जहाँ चाहा वहाँ जड़ दिया।
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| 42. | पुराने समय में काँसा और पीतल के बर्तन होते थे जो जो स्वास्थ के लिए अच्छे माने जाते है ।
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| 43. | धातुओं में सोना, चाँदी, ताँबा, पीतल, काँसा, लोहा, जस्ते का उपयोग भी किया जाता था।
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| 44. | साधारण बोलचाल में कभी-कभी पीतल को भी काँसा कह देते हैं, जा ताँबे तथा जस्ते की मिश्रधातु है और पीला होता है।
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| 45. | आज मूर्ति बनाने के हेतु जो काँसा बनता है उसमें ८५ प्रतिशत ताँबा, ११ प्रतिशत जस्ता तथा ४ प्रतिशत टिन रहता है।
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| 46. | साधारण बोलचाल में कभी-कभी पीतल को भी काँसा कह देते हैं, जा ताँबे तथा जस्ते की मिश्रधातु है और पीला होता है।
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| 47. | मतलब ज्ञान अब सोना, चाँदी या लोहा जैसी धातु नहीं, वह अब काँसा, पीतल, स्टील जैसी यौगिक थी।
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| 48. | तुम्हें मालूम है कि काँसा, तांबे और रांगे के मेल से बनता है और इन दोनों से ज्यादा सख्त होता है।
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| 49. | आज मूर्ति बनाने के हेतु जो काँसा बनता है उसमें ८५ प्रतिशत ताँबा, ११ प्रतिशत जस्ता तथा ४ प्रतिशत टिन रहता है।
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| 50. | उससे पहले धातुओं में पीतल, काँसा, चाँदी के बर्तन ही चला करते थे और बाकी मिट्टी के बर्तन चलते थे ।
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